साल 1962 में आज ही के दिन चीन ने भारत की पीठ पर किया था वार, अक्साई चिन पर कर लिया था कब्जा

चीन ने अक्साई चिन (Aksai Chin) पर पूरी तरह कब्जा कर लेने के बाद 21 नवंबर, 1962 को युद्ध विराम और अरुणाचल सेक्टर से अपनी वापसी की घोषणा कर दी थी।

Aksai Chin

फाइल फोटो।

धोखे से अचानक किए गए इस हमले में भारत ने करीब 38 हजार वर्ग किमी का अक्साई चिन (Aksai Chin) एरिया गंवा दिया था।

चीन (China) ने साल 1962 में आज ही के दिन यानी 20 अक्टूबर को भारत (India) पर हमला किया था। भारत-चीन के बीच हुए इस युद्ध में भारत की ओर से 10-12 हजार सैनिक मैदान में थे। जबकि चीन की तरफ से करीब 80 हजार सैनिक लड़ रहे थे। चीन ने अक्साई चिन (Aksai Chin) पर पूरी तरह कब्जा कर लेने के बाद 21 नवंबर, 1962 को युद्ध विराम और अरुणाचल सेक्टर से अपनी वापसी की घोषणा कर दी थी। चीन के युद्ध विराम के बाद यह युद्ध खत्म हो गया।

इस युद्ध का ज्यादातर हिस्सा 14 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर लड़ा गया था। इस युद्ध में दोनों ही देशों ने नौसेना या वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया था। इस युद्ध में आधिकारिक तौर पर भारत के 1383 और चीन के 722 सैनिकों की मौत हुई थी। धोखे से अचानक किए गए इस हमले में भारत ने करीब 38 हजार वर्ग किमी का अक्साई चिन (Aksai Chin) एरिया गंवा दिया था।

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भारत युद्ध से पहले चीन को अपना करीबी दोस्त समझ रहा था, लेकिन वह दुश्मन निकला। इस युद्ध में भारत को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। युद्ध (Indo-China War 1962) में भारत को पहला झटका वालौंग में लगा था और इसके बाद ला-पास भी हाथ से फिसल गया था। भारतीय क्षेत्र की जमीनों पर चीन आक्रमक तरीके से कब्जा कर रहा था।

ला-पास के पूरे इलाके में तो हमारे दस हजार सैनिकों ने चीन के 20 हजार सैनिकों का सामना किया था। हालांकि, इन सबके बावजूद चीन ने भारत की करीब 43 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी कब्जा कर लिया था। हमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अक्साई चिन (Aksai Chin) को भी गंवाना पड़ा था।

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चीनी सेना भारी संख्या और पूरी तैयारी के साथ हमारे खिलाफ उतरी थी, जबकि भारतीय सेना आधी-अधूरी तैयारी के साथ। युद्ध (Indo-China War 1962) में हमारी सेना के पास न तो हथियार थे और न ही माइनस 30 डिग्री जैसे कड़ाके की ठंड के लिए कपड़े और जूते। युद्ध में एक भारतीय जवान ऐसे भी थे, जिन्होंने खुद के दम पर 300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।

चीन ने इस युद्ध (Indo-China War 1962) में यूं तो भारत को हरा दिया था, लेकिन हमारे वीर सपूतों ने संसाधनों के अभाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। चीनी सैनिकों से मुकाबला कर भारतीय सेना (Indian Army) ने दिखा दिया था कि वे भारत मां की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

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इस युद्ध (Indo-China War 1962) में हमारे 12 हजार भारतीय सैनिकों ने चीन के 80 हजार जवानों से मुकाबला किया था। भारतीय सेना ने हथियारों के अभाव में कई चीनी सैनिकों से हैंड टू हैंड फाइट की थी। युद्ध में भारत की ओर से 1383 सैनिक शहीद हुए। चीन के लगभग 722 सैनिक मारे गए। चीन के लगभग 1697 सैनिक घायल हुए थे, वहीं भारत के 1,047 घायल हुए।

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कहा जाता है कि सैन्य मोर्चे पर हमारे सैनिक कमजोर थे। वे तैयार नहीं थे, फिर भी उन्हें सरहद पर भेजा गया था। उनके पास दूसरे विश्वयुद्ध के दौर की बंदूकें थीं, जबकि चीनियों के पास एके-47 थीं। भारत-चीन युद्ध की सबसे बड़ी वजह है 4 हजार किलोमीटर की सीमा थी जो कि निर्धारित नहीं है, इसे एलएसी कहते हैं। चीनी सेना ने पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला और पूर्व में तवांग पर कब्जा कर लिया। 20 नवंबर, 1962 को युद्ध विराम की घोषणा की गई।

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