1962 के युद्ध के बाद भारत ने कई बार खोई है अपनी जमीन, जानें क्या है सलामी स्लाइसिंग
सलामी स्लाइसिंग एक तरह की टुकड़े-टुकड़े नीति है, इसका इस्तेमाल करके चीन पहले किसी क्षेत्र में अपना दावा करता है, फिर वह अपनी बात दोहराता रहता है।
Indo-China War 1962: हार के बाद भारत को महसूस हुई थी ये कमी, हुए ये बड़े बदलाव
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। चीन ने इस युद्ध में भारतीय सेना को बुरी तरह से हराया था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ आई थी जबकि भारतीय सेना (Indian Army) अधूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी।
1962 का युद्ध: भारतीय सेना के 1696 सैनिक हुए थे लापता! चीन को हुआ था इतना नुकसान
War of 1962: जब दो देशों के सेनाएं एक दूसरे से भिड़ती हैं तो नुकसान दोनों तरफ होता है। किसी को कम नुकसान होता है तो किसी को ज्यादा।
1962 का युद्ध: इस वजह से अलग-थलग पड़ गया था भारत! नहीं दिया था किसी ने भी साथ
जिस वक्त दोनों देशों युद्ध में आमने-सामने थे उसी समय दुनिया के दो महाशक्तिशाली देश, अमेरिका और रुस क्यूबा-मिसाइल विवाद में फंसे हुए थे।
चीन से 1962 के युद्ध के बाद भारतीय सेना ने किया खुद को मजबूत, अब थर-थर कांपते हैं दुश्मन
Indian Army ने बड़े स्तर पर बदलाव किए और समय के साथ वैश्विक स्तर के हथियारों को बेड़े में शामिल किया। जवानों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी की जाती हैं।
Indo-China War 1962: युद्ध में हार और फिर Indian Army में बदलाव, ऐसे थे जंग के दिन
हार के बाद सैन्य स्तर पर कई बदलाव हुए। सेना में नीचे से लेकर ऊपर तक व्यापक बदलाव हुए। भारत को समझ आ गया था कि ऐसे संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
War of 1962: इतने दिन चला था युद्ध, हमें हुआ था चीन से दोगुना नुकसान
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना भारतीय सेना पर भारी पड़ी थी। भारत को आजादी मिले महज 14 साल ही हुए थे लेकिन 1947-48 युद्ध के बाद एक और युद्ध लड़ना पड़ा था।
1962 के युद्ध की कहानी फुंचुक अंगदोस की जुबानी, ऐसा था इनका अनुभव
अंगदोस ने इस युद्ध से जुड़े अपने उन दिनों के अनुभव को साझा किया है। वे बताते हैं कि किस तरह उन दिनों युद्ध लड़ा और चुनौतियों का सामना किया था।
1962 का युद्ध: सूबेदार कपूर सिंह का ऐसा था अनुभव, हथियार और संख्या बल में हम थे कमजोर
युद्ध में सूबेदार कपूर सिंह ने भी हिस्सा लिया था। लद्दाख के गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में उन्होंने भी हिस्सा लिया था।
1962 के युद्ध में चीनियों की लाशें बिछाने वाले मेजर शैतान सिंह के बारे में जानें ये खास बातें
भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) को हार का सामना करना पड़ा था। चीनी सेना ने हर मोर्चे पर भारतीय जवानों को चुनौती दी थी। चीनी सेना के पराक्रम के आगे हमारे जवान ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सके थे।
1962 के युद्ध की कहानी रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी की जुबानी, जानें कैसा था इनका अनुभव
इस युद्ध में रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी ने भी हिस्सा लिया था। अब ताशी की उम्र 82 साल है लेकि जब वह इस युद्ध में शामिल हुए थे तो उनकी उम्र 21 साल थी।
Indo-China War 1962: …जब गंगोत्री हिमालय में तप करने वाले साधुओं ने की भारतीय सेना की मदद
भारत और चीन के बीच 1962 में लड़े गए युद्ध में गंगोत्री हिमालय में तप करने वाले साधुओं ने भी भारतीय सेना (Indian Army) की मदद की थी। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पूरा दमखम दिखाया था, लेकिन अंत में हार का ही सामना करना पड़ा था।
Indo-China War 1962: सीमा को लेकर तिब्बत से हुआ समझौता नहीं मानता है चीन
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध (Indo-China War 1962) लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना ने भारतीय सेना (Indian Army) पर जमकर हमला किया था। जवाबी कार्रवाई में हमारे कई सैनिक शहीद और घायल हो गए थे।
Indo China War 1962: चीन कैसे जीत गया? ये मानी जाती हैं कुछ मुख्य वजहें
चीनी सेना बढ़िया हथियारों के साथ जंग के मैदान में उतरी थी जबकि भारतीय सेना के पास उतने बढ़िया हथियार नहीं थे। युद्ध बेहद ही सर्द इलाकों में लड़ा गया था।
India China War 1962: सेवानिवृत्त ऑनरेरी कैप्टन लक्ष्मण सिंह डांगी का ऐसा था अनुभव, बताया हार की वजह
भारत और चीन के बीच साल 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। सीमित संसाधनों के बावजूद हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों का मुकाबला किया था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी, जबकि भारतीय सेना (Indian Army) पूरी तरह तैयार नहीं थी।
1962 की लड़ाई में युद्धबंदी रहे वीर सपूत बलवंत सिंह बिष्ट का ऐसा था अनुभव, चीन को भस्म करने की है चाह
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीन के खिलाफ भारतीय वीर सपूतों ने जीत के लिए पूरी मेहनत की थी लेकिन हार नसीब हुई थी। हार की वजह थी, भारतीय सेना (Indian Army) का अधूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरना।
हमसे 8 गुना ज्यादा सैनिक लेकर जंग में उतरा था चीन, भारतीय जवानों ने छुड़ा दिए थे छक्के
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीन को जीत मिली थी। 1962 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद इतना बढ़ गया था कि हमारी सेना को युद्ध लड़ना पड़ा था।