भारतीय सेना (Indian Army)
Indo-China War 1962: युद्ध में हार के बाद भारत ने सैन्य स्तर पर कई बदलाव किए। सेना (Indian Army) में नीचे से लेकर ऊपर तक व्यापक बदलाव किए गए। भारत को समझ आ गया था कि भविष्य में इसी तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना, भारतीय सेना (Indian Army) पर भारी पड़ी थी। हार की कई वजहें थीं, जिसमें से एक मुख्य वजह थी- भारतीय सेना के पास संसाधनों की कमी होना। इस युद्ध में हमारी सेना बिना तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी।
चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ युद्ध लड़ने आई थी। चीनी सेना के पास घातक हथियार थे जबकि भारतीय सेना के पास काफी पुराने हथियार। युद्ध में भारत के 1,383 सैनिक मारे गए थे जबकि 1,047 घायल हुए थे। वहीं, 1696 सैनिक लापता हो गए थे और 3,968 सैनिकों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, चीन के कुल 722 सैनिक मारे गए थे और 1,697 घायल हुए थे।
इस युद्ध में हार के बाद भारत ने सैन्य स्तर पर कई बदलाव किए। सेना (Indian Army) में नीचे से लेकर ऊपर तक व्यापक बदलाव किए गए। भारत को समझ आ गया था कि भविष्य में इसी तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरुरत है क्योंकि चीन अब हमारा मित्र देश नहीं रह गया था। ‘हिंदी-चीनी-भाई-भाई’ का नारा पूरी तरह से खत्म हो चुका था।
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सेना को इस तरह के युद्ध में लड़ने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाने लगी। जवानों को ठंडे इलाकों में किस तरह जिंदा रहना है इसकी बारीकियां बताई गईं, जिसे आज तक फॉलो किया जा रहा है। सेना के लिए विशेष तरह के कपड़े लिए गए हैं जो कि माइनस डिग्री तापमान पर जवानों को ठंड से बचाते हैं। इसके साथ ही हथियारों की संख्या और उनके प्रकार में बदलाव किए गए और हथियारों का आयात व्यापक स्तर पर बढ़ाया गया।
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