1962 का युद्ध: सूबेदार कपूर सिंह का ऐसा था अनुभव, हथियार और संख्या बल में हम थे कमजोर

युद्ध में सूबेदार कपूर सिंह ने भी हिस्सा लिया था। लद्दाख के गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में उन्होंने भी हिस्सा लिया था।

कपूर सिंह ने 1962 के युद्ध में हिस्सा लिया था।

Indo-China War 1962: युद्ध में सूबेदार कपूर सिंह ने भी हिस्सा लिया था। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में उन्होंने भी हिस्सा लिया था।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीनी सेना भारतीय सेना पर हावी हुई थी। भारतीय सेना को युद्ध के अंत में हार का सामना करना पड़ा था। चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी जबकि भारतीय सेना आधी अधूरी तैयारी के साथ लड़ी थी।

युद्ध में सूबेदार कपूर सिंह ने भी हिस्सा लिया था। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में उन्होंने भी हिस्सा लिया था। वे बताते हैं कि भारतीय सेना हथियार और संख्या बल में कमजोर थी लेकिन अंत तक जोश के साथ लड़ी थी।

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हरियाणा के रोहतक में रहने वाले सूबेदार कपूर सिंह बताते हैं कि ‘उन दिनों मेरी पोस्टिंग 5-जाट रेजीमेंट में लद्दाख की फॉगरान वैली में थी। ठंड बहुत ज्यादा थी। तापमान माइनस डिग्री से नीचे था। ऊंचाई और चारों तरफ से बर्फीले पहाड़ तथा नीचे घाटी, जिसमें बर्फ जमी रहती थी।’

वे आगे बताते हैं ‘अक्टूबर के महीने में ठंड और ज्यादा होती है। इस महीने के दौरान मैकमोहन रेखा पर तनाव था। तनाव देखते ही देखते युद्ध में बदल गया था। हालांकि तनाव को देखते हुए सेना की एक कंपनी गलवान घाटी में पोजीशन लिए हुई थी। हमने कड़ा मुकाबला किया था लेकिन दुश्मनों की संख्या ज्यादा होने के साथ ही डेमोग्राफिक स्थिति भी चीनी सैनिकों के पक्ष में थी, इसलिए वे हम पर भारी पड़े थे।’

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