300 चीनी सैनिकों को उनके बंकरों में घुस कर मारा, भारतीय जवानों की वीरगाथा

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत (India) और चीन (China) आमने-सामने हैं। साल 1967 में भारत-चीन युद्ध पूरी दुनिया को याद है तो भला चीन यह बात कैस भूल सकता है कि हमारे जवानों ने उनकी मांद में घुसकर उनके 300 सैनिकों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया था।

Indian Army

चीन (China) भले ही खुद को चालबाज समझता हो लेकिन यह सच है कि भारत के सामने उसकी चालबाजी हमेशा ही नाकाम रहती है। भारतीय सीमा पर चीन आंखें तरेरने की कोशिश कर रहा है तो भारत भी आज उससे आंख में आंख मिलकर खड़ा है। वजह साफ है कि यह नया भारत है जो पहले लड़ेगा नहीं पर युद्ध होने पर पीछे हटेगा नहीं।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत (India) और चीन (China) आमने-सामने हैं। साल 1967 में भारत-चीन युद्ध पूरी दुनिया को याद है तो भला चीन यह बात कैस भूल सकता है कि हमारे जवानों ने उनकी मांद में घुसकर उनके 300 सैनिकों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया था। पूर्व मेजर जनरल वीके (General VK Singh) सिंह ने एक किताब लिखी है- भारतीय सेना में नेतृत्व: बारह सैनिकों की जीवनी। इस किताब में उन्होंने 1967 के इस गौरवशाली युद्ध के बारे में बताया है।

बडगाम में ड्रग्स बेचने वाले आतंकी मॉड्यूल का खुलासा, कुपवाड़ा से आतंकी गिरफ्तार

वीके सिंह ने बताया कि जब 1965 में भारत ने नाथुला चौकी खाली नहीं की तो चीन उकसाने की नीति पर चलने लगा। उसने नाथुला चौकी के पास अपने इलाके में कई लाउडस्पीकर लगा रखे थे। वे लाउडस्पीकरों से भारत खिलाफ आग उगलते। पीछे नहीं हटने पर 1962 का नतीजा भुगतने की धमकी देते। आपको बता दें कि नाथुला हिमालय क्षेत्र में एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम और तिब्बत की चुम्बी घाटी को जोड़ता है। नाथुला दर्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 55 किलोमीटर दूर पूरब में स्थित है।

उस वक्त यहां पर भारतीय फौज (Indian Army) की 27 माउंटेन डिविजन तैनात थी। जिसकी कमान जनरल सगत सिंह के हाथ में थी। 11 सितम्बर 1967 को सीमा पर तार की घेरबंदी शुरू हुई। 70 फील्ड कंपनी के इंजीनियर्स और 18 राजपूत के जवान बाड़ लगाने के काम में जुट गये। लेकिन चीनी सेना ने इसका विरोध किया और खुले में खड़े भारतीय सैनिकों पर गोलियां बरसा दी। चीन (China) के इस हमले में भारतीय सैनिकों का नुकसान हो गया।

अमेरिका में काले-गोरे का भेद और 51 साल का नाकाम सफर!

वीके सिंह के मुताबिक उस वक्त सगत सिंह ने देखा कि चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों (Indian Army) पर लगातार गोलियां बरसा रहे हैं तो उन्होंने तोप से गोले बरसाने का आदेश दे दिया। खास बात यह है कि उस समय तोप से गोलाबारी का आदेश सिर्फ प्रधानमंत्री के अलावा कोई नहीं दे सकता था। भारतीय तोपों को मुंह खोलने का जैसे ही आदेश मिला चीनी सेना में खलबली मच गई।

ऊंचाई पर स्थित भारतीय सेना (Indian Army) के तोपखानों ने चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिये। चीनी ठिकानों पर गोलों की बरसात होने लगी। कुछ भारतीय सैनिक जो खुले में खड़े थे वे गोलियां लगने के बाद भी चीनी सीमा में घुस कर उनके बंकरों के पास चले गये। खून से लथपथ होने के बाद भी उन्होंने बंदूक की संगीनों से कई चीनियों को मार गिराया। इस हमले में चीन (China) के करीब 300 सैनिक मारे गये। भारत के 65 सैनिक इस युद्ध में शहीद हुए थे।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें