रक्षा मंत्रालय ने अर्जुन मार्क1ए की खरीद को दी मंजूरी, जानें इस टैंक की खूबी

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने 23 सितंबर को भारतीय सेना (Indian Army) के लिए 118 अर्जुन टैंक मार्क1ए वर्जन (Arjun Mark-1A) की खरीद को मंजूरी दे दी है।

Arjun Mark-1A

Arjun Mark-1A

अर्जुन एमके-1ए (Arjun Mark-1A) दुश्मन के ग्रेनेड और मिसाइल हमलों को भी झेलने में सक्षम हैं। इस टैंक के बाहरी हिस्से में रिएक्टिव ऑर्मर लगे हुए हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने 23 सितंबर को भारतीय सेना (Indian Army) के लिए 118 अर्जुन टैंक मार्क1ए वर्जन (Arjun Mark-1A) की खरीद को मंजूरी दे दी है। सरकार ने टैंक बनाने के लिए 7523 करोड़ रुपए का ऑर्डर हैवी व्हीकल फैक्ट्री, आवडी (चेन्नई) को दिया है।

अर्जुन टैंक का मार्क1ए वर्जन एडवांस्ड कैटेगिरी का है। सेना के इस मुख्य युद्धक टैंक को ‘हंटर किलर’ (Hunter Killer) भी कहा जाता है। आर्मी के पास अर्जुन टैंक के दो रेजिमेंट हैं और अब 118 और टैंकों की खरीद के लिए ऑर्डर दिया गया है। टैंक का मार्क 1 ए बिल्कुल नया संस्करण है जिनमें पूर्ववर्ती संसकरणों से 72 ज्यादा खूबियां हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते फरवरी महीने में चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में अर्जुन मार्क 1A (Arjun Mark-1A) को राष्ट्र को समर्पित किया था। पीएम मोदी ने स्वदेशी अर्जुन मेन बैटल टैंक (एमके-1ए) चेन्नई में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।

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अर्जुन एमके-1ए की डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी है। हालांकि इसके 54.3 फीसदी पार्ट ही भारत में बने हुए हैं। यह टैंक अर्जुन एमके-1 का ही एक अपग्रेडेड वर्जन है। भारतीय सेना में अर्जुन एमके-2 भी पहले से ही तैनात हैं।

इससे पहले बने अर्जुन मार्क-1 में स्वदेशी उपकरण 41 फीसदी ही थे। इस टैंक में अत्याधुनिक ट्रांसमिशन सिस्टम लगाया गया है। जिससे टैंक के अंदर बैठा गनर सीधे कंट्रोल सेंटर से जुड़ सकता है। इसके अलावा वह साथ के टैंकों के साथ कोऑर्डिनट कर दुश्मन के ठिकानों पर प्रभावी हमला भी कर सकता है।

अर्जुन एमके-1ए (Arjun Mark-1A) दुश्मन के ग्रेनेड और मिसाइल हमलों को भी झेलने में सक्षम हैं। इस टैंक के बाहरी हिस्से में रिएक्टिव ऑर्मर लगे हुए हैं। जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल या रॉकेट के प्रभाव को अपने ऊपर झेलकर कम कर सकते हैं।

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ये रिएक्टिव आर्मर विस्फोटकों से लैस होते हैं। जैसे ही दुश्मन की मिसाइल टकराती है, इनमें विस्फोट हो जाता है। जिससे दुश्मन की मिसाइल या रॉकेट टैंक के अंदर नहीं घुस पाते। इस टैंक में रसायनिक हमलों से बचने के लिए भी कई सेंसर लगाए गए हैं। जिससे अंदर बैठे क्रू मेंबर बाहरी हमले से सुरक्षित रह सकते हैं।

इस टैंक में लगा लेजर वॉर्निंग सिस्टम अंदर बैठे गनर और कमांडर को खतरे की चेतावनी देता है। वह दुश्मनों की मिसाइल और उनकी लोकेशन को भी बताने में सक्षम है। इसमें रिमोट कंट्रोल वेपन सिस्टम, एडवांस लैंड नेविगेशन सिस्टम भी लगा है।

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इस टैंक का निर्माण और विकास पूरी तरह से DRDO ने किया है और ये भारतीय सेना की हर जरूरतों को पूरा करने वाला है। अर्जुन टैंक को DRDO कंबैट वीकल्स रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट इस्टेबलिस्टमेंट में डिजाइन किया गया है।

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