लद्दाख दौरे पर गये सेना प्रमुख का बयान- LaC पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है चीन, सीमा विवाद का स्थाई समाधान जरूरी

आर्मी चीफ (Gen MM Naravane)  ने बताया था कि हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और हमारी सेना ने हाल ही में इसका सबूत दे दिया है।

Indian Army Chief MM Naravane

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (फाइल फोटो)

लद्दाख के दो दिवसीय दौरे पर इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Gen MM Naravane) ने बताया कि भारत-चीन अग्रिम चौकियों से अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए इस महीने के मध्य में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर (एलएसी) 13वें दौर की बातचीत करेंगे।

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गौरतलब है कि आर्मी चीफ (Gen MM Naravane) महात्मा गांधी की 152वीं जयंती के अवसर पर स्थापित खादी राष्ट्रीय ध्वज के अनावरण कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने लद्दाख में अग्रिम चौकियों का दौरा किया और ठंड शुरू होने से पहले ही सेना की परिचालन और रसद तैयारियों का जायजा लिया।

प्रेस से मुखातिब होते हुये उन्होंने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की भारी तैनाती चिंता का विषय है। हालांकि उन्होंने ये उम्मीद किया कि बातचीत के माध्यम से सैनिकों को पीछे हटा लिया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले 16 महीने से सीमा विवाद चल रहा है। कमांडर स्तर की बातचीत के अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं और इस महीने के मध्य में 13वीं बैठक होने वाली है।

ऑर्मी चीफ नरवणे (Gen MM Naravane)  शुक्रवार को लद्दाख पहुंचे और अपनी यात्रा के पहले दिन उन्होंने सैनिकों के साथ बातचीत की और कुछ कठिन इलाकों, ऊंचाई और मौसम की स्थिति में तैनात होने के दौरान उनकी ढृढ़ता और उच्च मनोबल के लिए उनकी सराहना की।

लद्दाख की अपनी यात्रा से एक दिन पहले, दिल्ली में जनरल नरवणे ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ हालिया घटनाक्रम ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चे पर भारत की सक्रिय और विवादित सीमाओं पर चल रही विरासत की चुनौतियों को जोड़ा है।

एलएसी पर चीन द्वारा जारी आक्रामकता का जवाब देते हुए आर्मी चीफ (Gen MM Naravane)  ने बताया था कि हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और हमारी सेना ने हाल ही में इसका सबूत दे दिया है। हालांकि इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक स्थायी समाधान नहीं हो जाता, यानी सीमा समझौता..। हमारी कोशिशों का यही जोर होना चाहिए ताकि हमारी उत्तरी सीमाओं पर स्थायी शांति हो।

 

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