War of 1971: जब दुश्मन के 38 पैटन टैंकों को ध्वस्त कर Indian Army ने पैदा कर दिया था खौफ

युद्ध में सेना के मात्र 120 जवानों ने दुश्मन देश के 38 पैटन टैंक को ध्वस्त कर दिया था। वह भी तब जब पाक आर्मी के कम से कम 2 हजार जवानों से उनका मुकाबला था।

India Pakistan War 1971

War of 1971 (File Photo)

War of 1971: युद्ध में Indian Army के मात्र 120 जवानों ने दुश्मन देश के 38 पैटन टैंकों और कई बख्तरबंद गाड़ियों को ध्वस्त कर दिया था। वह भी तब जब पाकिस्तानी आर्मी के कम से कम 2 हजार जवानों से उनका मुकाबला था।

भारत और पाकिस्तान के बीच लड़े गए 1971 के युद्ध (War of 1971) में इंडियन आर्मी के शौर्य के चर्चे आज भी होते हैं। युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने ऐसा खौफ मचाया था जिसे यादकर दुश्मन देश के सैनिक आज भी थर-थर कांप उठते होंगे। 1971 का साल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए बेहद अहम था। ये वह साल था जब बांग्लादेश एक देश के रूप में दुनिया के नक्शे में नजर आया।

पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना। पाकिस्तान आजादी के बाद से अबतक भारत के साथ विश्वासघात करता आया है। लेकिन हर बार नुकसान झेलकर वापस लौटा है। युद्ध के दौरान पाकिस्तान अपनी कई गलतियों के चलते अपना एक प्रांत (पूर्वी पाकिस्तान) गंवा बैठा था। भारतीय सेना से सीधी टक्कर लेना उसे और ज्यादा भारी पड़ा। प्रांत तो गया ही साथ में कई जवान मारे गए।

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इस युद्ध (War of 1971)  में सेना के मात्र 120 जवानों ने दुश्मन देश के 38 पैटन टैंक और कई बख्तरबंद गाड़ियों को ध्वस्त कर दिया था। वह भी तब जब पाकिस्तानी आर्मी के कम से कम 2 हजार जवानों से उनका मुकाबला था। दरअसल, बात 4 दिसंबर के दिन की है। इस दिन पाक सेना के 2 हजार सैनिक टैंकों व बख्तरबंद गाड़ियों से लौंगेवाला सीमा में घुस चुके थे।

मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी 23 पंजाब यूनिट के मोर्चे को लीड कर रहे थे। इसमें 120 सैनिक शामिल थे। पाकिस्तानी सैनिक 2 हजार की संख्या में थे और चुनौती बहुत बड़ी थी। हाईकमान का ऑर्डर आया कि हमारे जवानों की संख्या बेहद कम है, लिहाजा मोर्चे से वापस लौटा जाए।

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मगर मेजर चांदपुरी ने पीछे हटने से मना करते हुए कमांडर को कहा कि उसका एक-एक जवान आखिरी गोली व अंतिम सांस तक पाक सेना का मुकाबला करेगा और उनकी पूरी टीम 2 हजार पाक सैनिकों का पूरी रात मुकाबला करती रही। इस दौरान दुश्मन देश के 38 पैटन टैंकों और कई बख्तरबंद गाड़ियों को ध्वस्त कर दिया गया। पाकिस्तान की समझ नहीं आया कि भारतीय सैनिकों ने उन्हें किस तरह से इतना भारी नुकसान पहुंचाया।

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