War of 1971: जब लद्दाख के सुदूर उत्तर में स्थित 4 गांवों पर सेना ने किया कब्जा, आज तक भरे नहीं युद्ध के जख्म

युद्ध के 50 साल बाद भी इस गांव के लोग अपने लोगों से नहीं मिल पाए हैं, क्योंकि कब्जे के बाद पाक में रहने वाले और इन गांव में रहने वाले लोगों का संपर्क समाप्त हो गया।

Indian Army

War of 1971

War of 1971: युद्ध ने इन गांवों के लोगों को अपनों से दूर कर दिया। 50 साल बाद इस गांव के लोग अपने लोगों से नहीं मिल पाए हैं, क्योंकि कब्जे के बाद पाकिस्तान में रहने वाले और इन गांव में रहने वाले लोगों का संपर्क समाप्त हो गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध (War of 1971) लड़ा गया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से हराया था। दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसी मुल्कों के बीच 13 दिन तक यह युद्ध चला था। इस युद्ध में भारतीय सीमा से सटे पाकिस्तान के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था।

जिन इलाकों में कब्जा किया गया था, उनमें भारत के केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में ऐसे ही चार गांव भी हैं। ये गांव युद्ध के दौरान भारत के कब्जे में आए थे। इनका नाम तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग है। 16 दिसंबर, 1971 को जब भारतीय फौज ने पाकिस्तानी गांव त्याक्शी को कब्जे में लिया था। इसी दौरान अन्य तीनों गांवों को भी कब्जे में ले लिया गया।

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युद्ध ने इन गांवों के लोगों को अपनों से दूर कर दिया। 50 साल बाद इस गांव के लोग अपने लोगों से नहीं मिल पाए हैं। क्योंकि कब्जे के बाद पाकिस्तान में रहने वाले और इन गांव में रहने वाले लोगों का संपर्क समाप्त हो गया।

हालांकि, इन लोगों ने सरकार को कई दफा वीजा देने के लिए भी कहा लेकिन हर बार मना कर दिया गया। ये जगह सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण है इस लिहाज से सरकार किसी भी तरह से स्थिति को अपने कंट्रोल में रखना चाहती आई है। 

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बता दें कि सेना ने खास रणनीति ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’ के जरिए दुश्मनों के कब्जे वाले इलाकों पर कहर बरपा कर खुद का कब्जा जमाया था। यहां तक कि भारतीय सेना ढाका तक पहुंच गई थी। इस स्पेशल रणनीतिक के तहत सीधे-सीधे ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) में न घुसकर गांवों के रास्तों पर फोकस किया गया था।

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