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War of 1965: युद्ध में मशीनें चाहे कितनी ही एडवांस क्यों न हो लेकिन युद्ध में जीत सैनिकों की हिम्मत और पराक्रम के चलते होती है। पाकिस्तानी सेना के पास टैंक तो थे लेकिन ऐसे जवान नहीं थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध (War of 1965) लड़ा गया था। भारत ने 1962 में चीन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। युद्ध में हार मिली तो पाकिस्तान को लगा कि भारत कमजोर है और कश्मीर हड़पने का यही सही वक्त है।
पाकिस्तान ने भारत को कमजोर समझ कर बड़ी गलती की थी। युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया। पाकिस्तान ने जिस लक्ष्य के साथ युद्ध शुरू किया था वह उसे आज तक भी नहीं हासिल कर सका है।
इस युद्ध में पंजाब के एक गांव ने युद्ध का रुख मोड़ दिया था। एक छोटे से गांव तरनतारन में 1965 के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को खदेड़ा था। यह लड़ाई अमरकोट से कुछ ही मील की दूरी पर आसल उत्ताड़ में हुई थी, जिसने युद्ध (War of 1965) का रुख हिंदुस्तान के पक्ष में मोड़ दिया था।
दरअसल, यह वही युद्धस्थल था, जहां पाकिस्तानी सेना को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा था। भारतीय सेना (Indian Army) ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय वाले टैंकों के सहारे पैटन टैंकों का मुकाबला किया।
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युद्ध में मशीनें चाहे कितनी ही एडवांस क्यों न हो लेकिन युद्ध में जीत सैनिकों की हिम्मत और पराक्रम के चलते होती है। पाकिस्तानी सेना के पास टैंक तो थे लेकिन ऐसे जवान नहीं थे। पाकिस्तान इस दौरान अमृतसर, जालंधर और फिर अंत में दिल्ली पर कब्जा करने की फिराक में था। लेकिन इस गांव तरनतारन के जरिए भारतीय आर्मी ने पाकिस्तान का यह सपना कभी पूरा नहीं होने दिया।
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