कारगिल युद्ध 1999: लेह का वो रास्ता, जिसके खुलते ही सेना की मूवमेंट हो गई थी तेज, जानें पूरा मामला

पाकिस्तानी सैनिकों ने बेहद ही चालाकी के साथ उस रास्ते को रोक लिया था जहां से सेना के जवानों, हथियारों और अन्य जरूरी सामान की आवजाही होनी थी।

Kargil

सांकेतिक तस्वीर

Kargil War 1999: पाकिस्तानी सैनिकों ने बेहद ही चालाकी के साथ उस रास्ते को रोक लिया था, जहां से सेना के जवानों, हथियारों और अन्य जरूरी सामान की आवजाही होनी थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में भीषण कारगिल (Kargil) युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को हमारे वीर सपूतों ने भगा-भगाकर मारा था। युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर के तोलोलिंग की पहाड़ियों यानि प्वाइंट 5140 और टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा गया था। यहां दुश्मन हमारा लेह का रास्ता रोके हुए थे। सेना के मूवमेंट पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा था।

पाकिस्तानी सैनिकों ने बेहद ही चालाकी के साथ उस रास्ते को रोक लिया था, जहां से सेना के जवानों, हथियारों और अन्य जरूरी सामान की आवजाही होनी थी। इस रास्ते को रोककर दुश्मन हमें भारी नुकसान पहुंचा रहा था। लिहाजा इसे खाली करवाना बेहद ही जरूरी था। द्रास के सामने वाली तीनों पहाड़ियों पर पाकिस्तान की बड़ी संख्या में फौज थी।

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जैसे ही भारतीय सेना को इसका पता चला वैसे ही मोर्चा खोल दिया गया। यहां जब सेना पहुंची थी तो दुश्मनों के साथ डटकर मुकाबला हुआ था। श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग को चालू रखना आर्मी की पहली जरूरत थी। सेना पाकिस्तानी सैनिकों पर कहर बनकर टूट पड़ी थी। 28 मई 1999 को रात के समय दो चौकियों पर तोलोलिंग के नीचे कब्जा जमा लिया गया और इसके साथ ही लेह का रास्ता रोके दुश्मनों को भी खदेड़ दिया गया।

बता दें कि तब कारगिल या लेह पहुंचने के लिए दो ही रास्ते थे, इनमें से एक रास्ता श्रीनगर से जोजिवा पास पार करके कारगिल और लेह पहुंचने का है और दूसरा रास्ता मनाली से रोहतांग लाचुंग ला, बारालाचला और तंगलांग ला होते हुए लेह और उसके बाद कारगिल पहुंचने का था।

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