मगध आम्रपाली कोल परियोजना पर बड़ा खुलासा, NIA की रडार पर TPC के उग्रवादी और नक्सली

टीपीसी के कई उग्रवादी देखते ही देखते अमीर बन गए हैं। इन लोगों का साथ परियोजना के कुछ आला अधिकारी और ट्रांसपोटर्स दे रहे हैं। ये सभी NIA के रडार में हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

NIA नक्सलियों और टीपीसी के शीर्ष उग्रवादियों के खिलाफ मुहिम चला रही है और कई लोग उसके रडार पर हैं। NIA ने टीपीसी के उग्रवादियों को अपने शिकंजे में लेने के लिए जाल बिछाया है।

मगध आम्रपाली कोल परियोजना पर मिली जानकारी के आधार पर NIA ने जांच शुरू कर दी है। इस जांच में हैरान कर देने वाली बात सामने आई है।

टीपीसी के कई उग्रवादी देखते ही देखते अमीर बन गए हैं। इन लोगों का साथ परियोजना के कुछ आला अधिकारी और ट्रांसपोटर्स दे रहे हैं। ये सभी NIA के रडार में हैं।

बता दें कि झारखंड के चतरा स्थित मगध-आम्रपाली जैसी कोल परियोजनाओं में उग्रवादियों का हाथ सामने आया है, जो टीपीसी संगठन से संबंधित हैं। इसमें टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है।

एनआईए की लिस्ट में टीपीसी संगठन के मुख्य सरदार और खूंखार उग्रवादी बृजेश गंजू और उसके सहयोगी आक्रमण गंजू का नाम शामिल है। इसमें कई और शीर्ष नेताओं का नाम शामिल है।

एनआईए को यह पता चला है कि टीपीसी के सरगना के इशारे पर इस कोल परियोजना से उग्रवादी करोड़ों की वसूली कर रहे हैं। इसमें लेखन गंजू, मुकेश गंजू और अनिश्चय गंजू का नाम सामने आया है।

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इन कोल योजनाओं को खंगालने पर एनआईए को पता चला है कि इन उग्रवादी संगठनों का संबंध लोडिंग, अनलोडिंग से लेकर कई मामलों तक है। इसीलिए इन्हें लेवी का रुपया आसानी से मुहैया हो जाता है। वहीं बृजेश गंजू अपने गुर्गों के सहारे मालामाल हो रहा है।

पुख्ता सबूत मिल जाने के बाद NIA इन लोगों को गिरफ्तार करने और इन्हें खोजने में जुट चुकी है। हालांकि अभी तक उग्रवादी नेता को शिकंजे में नहीं लिया जा सका है। ये सारे फरार हैं और इनकी गिरफ्तारी करना एनआईए के लिए सिरदर्द बन चुका है।

बता दें कि एनआईए को पता चला है कि इस उग्रवादी संगठन के साथ-साथ बड़े सिंडीकेट इस काम में अपनी रुचि रखते हैं और इन नेताओं को खुश करने के लिए लेवी का रुपया जमा करवाते हैं, जिसमें कई ट्रांसपोर्टस भी शामिल हैं, जिसे एनआईए अभी पूछताछ कर रही है। लेकिन एनआईए के हाथ में बड़े सबूत के तौर पर अभी कई राज सामने आना बाकी हैं। मगध-आम्रपाली कोल परियोजना लेवी वसूलने के मामले को लेकर एनआईए गंभीर है और उसने अपनी जांच तेज कर दी है।

सूत्रों के अनुसार एनआईए ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो टीपीसी संगठन में कोहराम मच गया। वहीं टीपीसी संगठन के शुभचिंतकों और सीसीएल के कई अधिकारियों के साथ-साथ कोयला कारोबार में शामिल लोगों के होश उड़ गए।

इसे देखते हुए एनआईए ने टीपीसी के कई शीर्ष नेताओं के साथ साथ सीसीएल के कुछ अधिकारी, कुछ कोल कारोबारी, उग्रवादियों को लाइनअप करने वाले एक ट्रांसपोर्टर और आधुनिक ग्रुप के मालिक संजय जैन सहित कई कोल कारोबारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

बता दें कि झारखंड के चतरा स्थित टंडवा में मगध आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट से सीसीएल को सालाना लाखों में ही नहीं बल्कि करोड़ों में मुनाफा मिलता है। वहीं दूसरी तरफ टीपीसी उग्रवादियों को भी यहां से भारी भरकम लेवी का रुपया जाता है, जिसके कारण टीपीसी उग्रवादियों के लिए अमीर होना आसान हो गया है। इन उग्रवादियों द्वारा लेवी के रुपए से बड़े बड़े नगरों में जमीन खरीदी जाती है और रियल एस्टेट में इन्वेस्ट किया जाता है। इस बात का खुलासा एनआईए अपनी जांच रिपोर्ट में जल्द ही करने वाली है।

बता दें कि नक्सलियों और उग्रवादियों द्वारा लेवी का पैसा अपने विश्वसनीय व्यक्तियों के माध्यम से बड़े-बड़े महानगरों में जमीन के साथ-साथ बिल्डरों से मिलकर रियल स्टेट में इन्वेस्ट किया जा सकता है।

इनके द्वारा किए गए इन्वेस्ट से लाखों की मासिक आमदनी इनके घरों में पहुंचती है, जिससे यह उग्रवादी संगठन के लोग ऐशो आराम और विलासिता का जीवन जीते हैं।

एनआईए द्वारा टीपीसी उग्रवादियों और उनके गुर्गों के खातों को खंगालने की कवायद शुरू हो चुकी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार डीपीसी के कई उग्रवादी एवं उनके सहयोगी लेवी के रुपए से कोल परियोजना में काम आने वाले जेसीबी मशीन डंपर 2000 ट्रक आदि खरीद चुके हैं। इन मशीनों को ऐसी परियोजना में लगा दिया गया है जिससे लाखों रुपए की आमदनी महीने में होती है।

बता दें कि एनआईए द्वारा टीपीसी उग्रवादी संगठन पर शिकंजा कसने के बाद झारखंड के चतरा हजारीबाग लातेहार एवं पलामू जिले के उग्रवादी संगठन टीपीसी के होश उड़ चुके हैं और वह बैकफुट पर आ चुकी है। लेकिन अब भाकपा माओवादी फिर से उन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुट गया है, जहां पहले उसकी पकड़ मजबूत थी. भाकपा माओवादी दूसरे उग्रवादी संगठनों और पुलिस कार्रवाई से बैकफुट पर था. चतरा में भाकपा माओवादी की पकड़ बहुत ज्यादा थी. लेकिन चतरा में टीपीसी की वजह से भाकपा माओवादी कमजोर पड़ गई थी.

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