फाइल फोटो।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली इन दिनों शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। इस दौरान वह अपने मारे गए साथियों को याद करते हैं। वह एक जगह इकट्ठा हो कर मोमबत्तियां जलाकर शोक व्यक्त करते हैं। नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र में मारे गए नक्सलियों के नाम से स्मारक बनाते हैं। स्मारकों के आधार पर ही वह अपने प्रभाव क्षेत्र का सीमांकन भी करते हैं।
इस साल 28 जुलाई से 3 अगस्त के बीच नक्सलियों द्वारा शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है। पिछले कई शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सलियों को उग्र होते देखा गया है। अपना वर्चस्व कायम करने और मारे गए साथियों का बदला लेने के लिए नक्सली पुलिस प्रशासन पर हमला करते हैं।
एडीजी ऑपरेशन सुशील खोपड़े ने हिंसक घटनाओं को असफल बनाने के लिए कड़े बंदोबस्त किए हैं। उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाके बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय के साथ ही नवादा, औरंगाबाद और गया के एसपी को अलर्ट किया है। खुफिया विभाग से मिली सूचना के मुताबिक नक्सली किऊल-जसीडीह रेललाइन के साथ ही किऊल-भागलपुर लूप लाइन को निशाना बना सकते हैं। क्षेत्र में लगे मोबाईल टावर भी नक्सलियों के निशाने पर हैं। एडीजी ने आशंका जताई है कि शहीदी सप्ताह के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी और पुलिस पिकेट पर भी नक्सली हमला हो सकता है।
मुंगेर रेंज के डीआईजी मनु महाराज ने कहा है कि नक्सलियों की गतिविधियों को लेकर हमें सूचना मिली है। पुलिस लगातार ऑपरेशन चला रही है। उनके प्रभाव वाले इलाके पर कड़ी नजर है। उनकी किसी भी योजना को सफल नहीं होने दिया जायेगा। मैं संबंधित जिलों के एसपी से संपर्क में हूं और खुद जायजा ले रहा हूं।
इस बार नक्सली कुछ अलग तरीके से शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। वह रात में टॉर्च लाइट रैली निकाल कर पुलिस प्रशासन के विरोध में गाने गा रहे हैं। वहीं उधर बांका जिले में नक्सली अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए किसी मजबूत लीडर की तलाश कर रहे हैं। बता दें कि 2017 में इनके मजबूत लीडर मंटू खैरा को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। जिसके बाद पिंटू राणा ने संगठन की कमान संभाली थी, पर वह नक्सली संगठन का प्रभाव बढ़ाने में असफल रहे।
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