छत्तीसगढ़: जान जोखिम में डालकर इन नक्सल प्रभावित इलाकों में पहुंच रही मेडिकल टीम, लोगों को मिल रहा फायदा

प्रशासन की कोशिशों की वजह से इलाके में नक्सलियों की जड़ कमजोर हुई है। साथ ही लोगों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। लोग अब मेडिकल टीम को इलाके में आने से भी नहीं रोक रहे।

Naxal Area

जो लोग सरकारी कर्मचारियों का साथ देते थे उन्हें नक्सली अपनी हिंसा का शिकार बनाते थे। यहां तक कि इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) में लोग मेडिकल टीम को भी नहीं आने देते थे।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में एक समय नक्सलियों (Naxalites) के बहकावे में आकर लोग सरकारी कर्मचारियों का बहिष्कार करते थे। साथ ही नक्सलियों का खौफ भी था। जो लोग सरकारी कर्मचारियों का साथ देते थे उन्हें नक्सली अपनी हिंसा का शिकार बनाते थे। यहां तक कि इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) में लोग मेडिकल टीम को भी नहीं आने देते थे।

लेकिन अब वक्त बदल रहा है। प्रशासन की कोशिशों की वजह से इलाके में नक्सलियों की जड़ कमजोर हुई है। साथ ही लोगों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। लोग अब मेडिकल टीम को इलाके में आने से भी नहीं रोक रहे। दरअसल, कोरोना काल में इलाके के आदिवासियों को संक्रमण का डर सताने लगा।

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इस बीच मेडिकल टीम भी धीरे-धीरे लोगों में पहुंच बनाने लगी और अब अपनी कोशिशों में कामयाब हो रही है। इसका नतीजा है कि अति नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़-तेलांगाना इंटर स्टेट कॉरिडोर पामेड़ में स्वास्थ्य विभाग ने कैंप लगाया है। खास बात यह है कि बड़ी संख्या में ग्रामीण अपना इलाज कराने यहां पहुंच रहे हैं। जिससे उन्हें काफी फायदा मिल रहा है।

साथ ही मेडिकल टीम के समझाने का असर आदिवासी ग्रामीणों पर हो रहा है। यही वजह है कि लोग टीकाकरण सहित अन्य इलाज के लिए तैयार हो रहे हैं। बता दें कि जंगली इलाके पामेड़, रासपल्ली, एर्रापल्ली जैसे नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) में पहुंचकर कैम्प लगाना बड़ी चुनौती है।

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नदी-नाले और कीचड़भरे रास्तों से होकर टीम इन गांवों में स्वास्थ्य कैंप लगाने पहुंची। टीम को यहां तक पहुंचने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा नक्सलियों का डर भी बना रहता है।चिंतावागु नदी में डोंगिनुमा नाव से जान जोखिम में डालकर बीजापुर जिले की मेडिकल टीम नक्सल प्रभावित पामेड़, एर्रापल्ली, रासपल्ली और धर्मारम पहुंची।

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यहां गर्भवती महिलाओं बच्चों और ग्रामीणों कोविड का टीका लगाया गया। इतना जोखिम उठाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम और अधिकारियों के गांव में पहुंचने से ग्रामीणों का भरोसा बढ़ेगा। वे स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होंगे और इलाज में कोताही नहीं बरतेंगे।

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