भारत-चीन सीमा पर तनातनी: आज की मुलाकात से बनेगी बात या लंबा चलेगा लद्दाख में विवाद

भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों देशों के टॉप कमांडरो के बीच शनिवार को बातचीत हो रही है.

Global Times

भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी गतिरोध (India China Border Dispute) खत्म करने के लिए दोनों देशों के टॉप कमांडरो के बीच शनिवार को बातचीत हो रही है। यह मुलाकात लेह से करीब 200 किलोमीटर दूर चुशुल-मोल्दो में हो रही है। भारत की ओर बातचीत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे तो चीनी दल के मुखिया दक्षिणी शिन्जियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर होंगे।

दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर एक महीने से तनातनी चल रही है। ये विवाद मुख्य तौर पर लद्दाख के पैगोंग सो झील के फिंगर 4 और गलवान घाटी के संवेदनशील इलाकों को लेकर है। ताजा विवाद लद्दाख के पैगोंग सो इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प से शुरू हुआ। उसके बाद से चीन ने एलएसी पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया। जवाब में भारत की ओर से भी सीमा पर तैनाती बढ़ा दी गई।

अब तक दोनों देशों के बीच लोकल कमांडर स्तर तक पर दस दौर और मेजर जनरल स्तर की तीन बैठकें पहले ही हो चुकी हैं। हालांकि विवाद अभी सुलझता नजर नहीं आ रहा। यूं तो अच्छी खबर ये आई है कि चीन की सेना कुछ इलाकों में 2 किलोमीटर तक पीछे हटी है, लेकिन ये भी खबर है कि चीन के सैनिक अभी उस फिंगर 4 इलाके में जमे बैठे हैं जो भारतीय क्षेत्र में आता है।

जाहिर है कि दोनों देशों के बीच विवाद अभी भी गर्म है और तनाव फिलहाल पिघला नहीं है। ऐसे में इस लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की मीटिंग से बहुत अधिक की उम्मीद करना सही नहीं होगा। इस बैठक से सबसे बड़ी उम्मीद यह की जा सकती है कि यह तनाव को कम करने का रास्ता खोले।

यह विवाद शुरू करने के पीछे चीन की मंशा लद्दाख में सीमाई इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के भारतीय प्रयासों को रोकना था। चीन को गलवान घाटी को दारबुक, शयोक, दौलत बेग ओल्डी से जोड़ने वाली 255 किलोमीटर लंबी सड़क से खासतौर से एतराज है। इस सड़क से भारतीय सेना काराकोरम दर्रे के दक्षिण में आखिरी सैन्य पोस्ट तक आसानी से पहुंच बना सकेगी। चीन नहीं चाहता कि इस सड़क का काम पूरा हो सके। चीन दौलत बेग ओल्डी में भारत द्वारा हवाई पट्टी के विस्तार के भी खिलाफ है।

भारत पर दबाव बनाना चाहेगा चीन

ऐसे में संभव है कि वह बातचीत के दौरान यह मांग रखे। लेकिन भारत ने साफ कहा है कि यह निर्माण उसके इलाके में हो रहा है। साथ ही यह लोगों की सुविधा के लिए है और इसका कोई रणनीतिक मकसद नहीं है। ऐसे में तनाव कम करने की कोशिश में यहां मामला फंस सकता है।

चीन फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहा है। कोरोनावायरस महामारी को लेकर चीन दुनिया से थोड़ा अलग-थलग पड़ गया है। ऐसे में उसके आर्थिक हितों को भी नुकसान हुआ है। चीन को भारत सरकार के कुछ हालिया फैसलों से भी समस्या है। मोदी सरकार ने बिना अनुमति किसी भारतीय कंपनी को चीन की कंपनियों द्वारा खरीदे जाने पर रोक लगा दी है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी मुहिम भी चीन से सस्ते आयात को झटका दे सकती हैं।

ऐसे में चीन लद्दाख में चल रहे विवाद का इस्तेमाल अपनी कुछ मांगे मनवाने के लिए कर सकता है। जाहिर है भारत का इन्हें स्वीकार करना इतना आसान नहीं होना। ऐसे में सीमा पर चल रही यह तनातनी और लंबी खींच सकती है।

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