सऊदी अरब से पैसा और तेल लेने के लिए तरसेगा पाकिस्तान, आखिर क्यों टूटी ये दोस्ती?

सऊदी अरब से अपनी दोस्ती की डींगे हांकने वाला पाकिस्तान आज सऊदी अरब के सामने बैकफुट पर नजर आ रहा है।

Imran Khan

दुनिया जानती है कि पाकिस्तान (Pakistan) को इस समय चीन (China) का समर्थन हासिल है। इस वजह से पाकिस्तान  (Pakistan) लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है। वह बीते कुछ समय से ये मांग कर रहा था कि सऊदी अरब (Saudi Arabia) और यूएई, ओआईसी (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) की मीटिंग बुलाएं और इस मीटिंग में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हो।

पाकिस्तान (Pakistan) दुनियाभर में अपनी फजीहत कराने के बावजूद हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता, जिसमें उसे भारत के खिलाफ जहर उगलने को मिले। लेकिन इस बार पाकिस्तान (Pakistan) को भारत के खिलाफ चली गई अपनी ही चाल पर मुंह की खानी पड़ी है। कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने के चक्कर में उसने अपने दोस्त, सऊदी अरब से दुश्मनी मोल ले ली है।

सऊदी अरब (Saudi Arabia) से अपनी दोस्ती की डींगे हांकने वाला पाकिस्तान आज सऊदी अरब के सामने बैकफुट पर नजर आ रहा है। बीते कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच जिस तरह का माहौल है, उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि उनके संबंधों में खटास पड़ गई है और ये दोस्ती का द एंड है।

दरअसल पाकिस्तान को सऊदी अरब (Saudi Arabia) के सामने कश्मीर मुद्दा उठाना महंगा पड़ा है। सऊदी अरब ने साफ कह दिया है कि वह पाकिस्तान को अब न ही कर्ज देगा और न ही पेट्रोल-डीजल।

सऊदी अरब से क्या चाहता है पाकिस्तान

दुनिया जानती है कि पाकिस्तान को इस समय चीन का समर्थन हासिल है। इस वजह से पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है। वह बीते कुछ समय से ये मांग कर रहा था कि सऊदी अरब और यूएई, ओआईसी (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) की मीटिंग बुलाएं और इस मीटिंग में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हो।

ओआईसी मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है। इसके सदस्य 57 देश हैं। चूंकि सऊदी अरब, OIC का अध्यक्ष है, इसलिए यहां सबसे ज्यादा पावर उसी के पास है।

चूंकि सऊदी अरब के भारत से अच्छे रिश्ते हैं, इसलिए वह पाक की ओर से बुलाई जाने वाली इस मीटिंग के लिए मना करता रहा है। इसके अलावा सऊदी अरब पहले ही कह चुका है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना भारत का अंदरूनी मामला है।

पाकिस्तान ने क्या कहा और क्यों नाराज है सऊदी अरब

सऊदी अरब की नाराजगी की एक वजह ये है कि बीते हफ्ते पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने उसकी खुलेआम आलोचना की थी। कुरैशी ने कहा था कि सऊदी अरब, कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन की विदेश मंत्री स्तर की बैठक बुलाए, अगर वो ऐसा नहीं करता तो हम मुस्लिम देशों के साथ अलग बैठक बुलाने पर मजबूर हो जाएंगे. कुरैशी का ये बयान पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि कुरैशी के बयान के बाद ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कर्ज देने और तेल देने से मना किया है। पाकिस्तान को सऊदी अरब का एक अरब डॉलर का कर्ज भी चुकाना पड़ा। इसके अलावा सऊदी ने मई से ही पाक को उधार तेल देना भी बंद कर दिया है।

दरअसल मुस्लिम देशों के साथ अलग बैठक बुलाने के बयान के अलावा कुरैशी ने ये भी कहा था, ‘पिछले साल दिसंबर में सऊदी के कहने पर ही पाकिस्तान, कुआलालंपुर समिट में शामिल नहीं हुआ था. अब पाकिस्तान के मुसलमान चाहते हैं कि सऊदी अरब कश्मीर मुद्दे पर नेतृत्व करे। खाड़ी देशों को समझना होगा कि हमारी अपनी संवेदनाएं हैं।’

कुरैशी ने ये भी कहा था कि वो भावुक होकर ऐसा नहीं कह रहे हैं, बल्कि वे अपने बयान का मतलब समझते हैं। उन्होंने कहा था कि मैं सऊदी के साथ अच्छे संबंधों के बावजूद अपना पक्ष रख रहा हूं।

गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की सऊदी ने रोकी मदद

हैरानी की बात ये भी है कि पाकिस्तान ने गहरे आर्थिक संकट के बावजूद सऊदी से दुश्मनी मोल ली। दरअसल पाकिस्तान ने जब-जब भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की है, तब उसे खुद ही मुंह की खानी पड़ी है।

अब सऊदी अरब को एक अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में पाकिस्तान की हालत खराब हो गई है। मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन से 1 अरब डॉलर का कर्ज लेकर सऊदी अरब को पैसा वापस किया है।

लेकिन ऐसा करने के बावजूद पाकिस्तान की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं, क्योंकि अभी उसे 5.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना बाकी है। ये पैसा पाकिस्तान कहां से लाएगा, ये एक बड़ी समस्या है।

हालांकि जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान, एक बार फिर चीन के सामने हाथ फैलाएगा और उससे कर्ज लेकर बाकी देशों का कर्ज उतारेगा। लेकिन चीन भी कब तक पाकिस्तान पर खुले दिल से पैसा उड़ाएगा, ये एक बड़ा सवाल है।

सऊदी अरब के अहसानों के नीचे दबा है पाकिस्तान

कहते हैं कि जिसकी मदद पर खुद की दुकान चल रही हो, उससे पंगा नहीं लेना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान की तो फितरत ही ऐसी रही है, कि जो उसके ऊपर दया दिखाता है, पाकिस्तान उसी को नुकसान पहुंचाता है। फिर चाहें भारत हो या अमेरिका, दुनिया गवाह है कि इन देशों से पाकिस्तान को क्या-क्या मिला, लेकिन बदले में पाकिस्तान ने इन देशों को केवल आतंक और दहशत के घाव ही दिए हैं।

लेकिन अब सऊदी को दी गई धमकी पाकिस्तान के गले की हड्डी बन गई है। बता दें कि सऊदी के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने फरवरी 2019 में पाकिस्तान का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने करीब 20 अरब डॉलर के समझौतों के एओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए थे. अब खबर ये है कि अगर पाकिस्तान ने सऊदी के सामने नरम रुख नहीं अपनाया तो सऊदी अपनी सारी मदद वापस ले सकता है।

इसके अलावा सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ सालाना 3 अरब डॉलर के कैश सपोर्ट और 3.2 अरब डॉलर की तेल आपूर्ति का समझौता कर रखा है। पाकिस्तान के रवैये से इस समझौते पर भी खतरा मंडरा सकता है।

इसके अलावा पाकिस्तान और सऊदी अरब के रणनीतिक संबंध हैं, अगर कश्मीर मुद्दे की वजह से पाकिस्तान ने अपने रवैये को इसी तरह जारी रखा तो सऊदी कई समझौतों को तोड़ सकता है। इसका सीधा असर ये होगा कि जहर उगलते पाकिस्तान के पास अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बाकी देशों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा।

कश्मीर मुद्दे पर PAK ने हर मंच पर कराई है फजीहत 

कश्मीर मुद्दे पर भारत को वैश्विक मंच पर घेरने के लिए पाकिस्तान काफी समय से कोशिश कर रहा है, लेकिन हर मंच पर उसे मुंह की खानी पड़ रही है। उसे किसी भी देश से भारत के खिलाफ समर्थन नहीं मिल रहा है।

हालही में पाकिस्तान ने यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भी ये मुद्दा उठाने की कोशिश की थी, लेकिन 5 स्थायी देशों में सिर्फ एक देश से ही उसे सपोर्ट मिला। यहां भी पाकिस्तान का सपोर्ट करने वाला देश चीन था, जिसके साथ भारत का बीते कुछ समय से सीमा विवाद भी चल रहा है।

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