उत्तरी कश्मीर को फिर से आतंकी गढ़ बना रहा है ISI, घाटी में आतंक का नंगा नाच करने कोशिश

1990 के दशक में अफगानिस्तान व पाकिस्तान के आतंकियों (Militants) ने यहां पर अपने बंकर निर्मित कर लिए थे। तब सूरतेहाल यह थे कि समूचे इलाके में आतंकी तालिबान शैली में कंधे पर यूबीजीएल व अन्य घातक हथियार लेकर घूमते–फिरते थे।

Militants

जब दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है‚ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) भारत विरोधी साजिशें बुनने में लगी है। यह नई साजिशें सरहद पर आतंकियों (Militants) की घुसपैठ और उत्तरी कश्मीर को फिर से आतंकवाद का गढ़ बनाने की है।

बीती शनिवार जिस प्रकार सेना के दो बड़े जांबाज अफसरों व जवानों के साथ–साथ राज्य पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को हंदवाड़ा में बंधक बने एक परिवार को मुक्त कराने की कोशिश में अपनी शहादतें देनी पड़ी‚ उससे जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी लश्कर–ए–तय्यबा व जैश–ए–मोहम्मद के आतंकियों (Militants) के साथ आतंकवाद का नंगा नाच करने कोशिश में है।

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दक्षिण कश्मीर में तब आतंकी गतिविधियों में खासा जोर पकड़़ा था, तब तीन साल पहले हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वॉय कहे जाने वाले ऑपरेशनल कमांडर वुरहान बानी को सुरक्षाबलों ने कोकरनाग में एक मुठभेड में मार गिराया था। ये वो दिन थे जब जम्मू–कश्मीर में पीडीपी–बीजेपी की गठबंधन सरकार थी। वुरहान बानी की मौत के बाद समूचा दक्षिण कश्मीर आतंक का एक गढ़ बनता चला गया। यहां से काफी बड़ी तादात में कम उम्र के पढ़े–लिखे युवक कलम–किताब छोड़कर आतंकवाद की अंधी गली में चले गए।

बीते साल अगस्त में जब अनुच्छेद 370 व 35A को खत्म किया गया और अत्यधिक कड़ी चौकसी व पाबंदिया आयद की गईं, तो इस दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल डाली जा सकी‚ लेकिन बीते साल के अंत में इसी घाटी में टीआरएफ नाम का एक नया आतंकी संगठन तब वजूद में सामने आया जब पुलिस ने इस संगठन के कुछ आतंकियों (Militants) को पकड़ा था।

दरअसल श्रीनगर के हरिसिंह हाई स्ट्रीट में टीआरएफ के आतंकियों (Militants) ने हमला किया था‚ परन्तु उसके बाद इसी संगठन ने इस साल 7 अप्रैल को फिर अनंतनाग में ग्रेनेड से हमले किए। उससे पहले 23 मार्च को दक्षिण कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में सेना‚ सीआरपीएफ तथा पुलिस के एक संयुक्त अभियान में छह आतंकियों (Militants) को पकड़ा गया। यह सभी टीआरएफ के बताए गए।

सुरक्षा एजेंसियों को तब हैरानी हुई जब उनकी निशानदेही पर आठ एके–47 राइफलें‚ 10 पिस्तौल‚ 89 हैंड ग्रेनेड के अलावा बड़ी संख्या में विस्फोटक सामग्री मिली। तभी सुरक्षा एजेंसियों को लगने लगा कि टीआरएफ दक्षिण कश्मीर के साथ–साथ उत्तरी कश्मीर में भी अपनी जडें जमाने में लगा है।

5 अप्रैल को जब इसी जिले कुपवाड़ा की नियंत्रण रेखा के केरन सेक्टर में सरहद पार से बड़ी संख्या में आतंकियों (Militants) की घुसपैठ की कोशिश हुई‚ जिसमें 5 आतंकियों (Militants) को मार गिराया गया‚ लेकिन उसमें हमारे 5 सुरक्षाबलों को भी शहादतें देनी पड़ी।

जिला कुपवाड़ा का हंदवाड़ा इलाका एक ऐसा घने जंगल वाला क्षेत्र है‚ जिसमें सन् 1990 के दशक में आतंकियों (Militants) ने शुरुआती दौर में यहीं अपने खुफिया ठिकाने बनाए थे। यहां का राजवार जंगल से ही शनिवार को मुठभेड़ के दौरान बाकी आतंकी भागने में कामयाब रहे।

सूत्रों का कहना है कि 1990 के दशक में अफगानिस्तान व पाकिस्तान के आतंकियों (Militants) ने यहां पर अपने बंकर निर्मित कर लिए थे। तब सूरतेहाल यह थे कि समूचे इलाके में आतंकी तालिबान शैली में कंधे पर यूबीजीएल व अन्य घातक हथियार लेकर घूमते–फिरते थे।

घाटी में उत्तरी कश्मीर मौजूदा वक्त में सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती का सबब बनता दिखाई दे रहा है। इस वक्त करीब 300 आतंकी घाटी में मौजूद हैं‚ जिनमें एक बड़ी संख्या विदेशी आतंकियों (Militants) की है।

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