Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध (Kargil war) के लिए गुरदीप सिंह ने रातों-रात झंडे तैयार किए थे। सेना की ओर से उन्हें एक बार अर्जेंट कहा गया था कि 23 झंडे चाहिए। ये झंडे कारगिल के दौरान शहीद जवानों के पार्थिव शरीर के लिए बनवाए गए थे।
नई दिल्ली: 26 जुलाई यानी आज का दिन भारत के इतिहास में एक अहम दिन है। साल 1999 में इसी दिन भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान (Pakistan) को धूल चटाई थी और कारगिल युद्ध (Kargil war) फतह कर तिरंगा लहराया था।
कारगिल में 60 दिनों तक भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच में जंग चली थी। 26 जुलाई 1999 को भारतीय जवानों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया था और वहां तिरंगा (Flag) फहराया था।
जो तिरंगा इस दिन वहां फहराया गया था, वो हरियाणा के अंबाला की एक दुकान में तैयार किया गया था। वैसे तो देश में कई जगहों पर तिरंगे बनाए जाते हैं लेकिन अंबाला का बना हुआ तिरंगा कुछ खास है।
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अंबाला कैंट के राय मार्केट स्थित लिबर्टी एंब्रॉयडर्स (Liberty Embroiders) के मालिक गुरप्रीत सिंह (55) और उनका परिवार काफी समय से ये काम कर रहे हैं और वो सेना की सामग्री बनाकर सेना को सप्लाई करते हैं।
गुरप्रीत सिंह के पिता गुरदीप सिंह ने 1965 में ये काम शुरू किया था। सेना की तरफ से उन्हें पहला ऑर्डर 1965 में मिला था।
कारगिल युद्ध (Kargil war) के लिए गुरदीप सिंह ने रातों-रात झंडे तैयार किए थे। सेना की ओर से उन्हें एक बार अर्जेंट कहा गया था कि 23 झंडे चाहिए। ये झंडे कारगिल के दौरान शहीद जवानों के पार्थिव शरीर के लिए बनवाए गए थे। कहा जाता है कि गुरदीप सिंह ने रोते हुए जवानों के लिए झंडे सिले थे, उन्हें अपने देश के शहीदों पर गर्व था लेकिन वह इस बात पर दुखी भी थे कि हमारे जवानों का खून बहा है।
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