प्रवासी मजदूरों पर नक्सलियों की नजर, बरगलाकर कर रहे संगठन में शामिल करने की कोशिश

झारखंड (Jharkhand) में आखिरी सांसें ले रहे नक्सली संगठन (Naxal Organizations) एक बार अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आए दिन वे किसी न किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इससे राज्य में एक बार फिर दहशत पैदा होने लगा है।

Naxals

सांकेतिक तस्वीर।

नक्सलियों (Naxals) की नजर लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों पर है। वे उन्हें पैसे और रुतबे का लालच देकर अपने संगठन से जोड़ने में लगे हैं।

झारखंड (Jharkhand) में आखिरी सांसें ले रहे नक्सली संगठन (Naxal Organizations) एक बार अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आए दिन वे किसी न किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इससे राज्य में एक बार फिर दहशत पैदा होने लगा है। कुछ समय पहले ही नक्सलियों (Naxals) ने लोहरदगा जिले में पुलिस गश्ती दल पर हमला किया था।

इसके बाद रांची में दो व्यवसायियों को प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (PLFI) के नक्सलियों द्वारा वीडियो कॉल कर एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई थी। जानकारी के मुताबिक, रांची में जिन दो व्यवसायियों से रंगदारी मांगी गई उन्हें वाट्सएप के वर्चुअल नंबर से कॉल की गई।

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व्यवसायियों को धमकाया गया कि वह संगठन से वार्ता कर लें और जहां कहा जाता है, वहां बताई गई धनराशि लेकर पहुंच जाएं अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। यह नक्सलियों (Naxalites) की हिमाकत को दिखाता है।

नक्सली (Naxals) यहीं नहीं रूक रहे। अब उनकी नजर प्रवासी मजदूरों पर है। पिछले कुछ सालों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अभियान ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। इस दौरान कई नक्सली मारे गए और दर्जनों नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। नोटबंदी के दौरान भी इन्हें काफी झटका लगा था। सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता के कारण बड़े पैमाने पर नकदी भी बरामद की गई।

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नक्सलियों (Naxals) को मदद पहुंचाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हुई। लेकिन हाल के महीनों में इनकी सक्रियता एकाएक बढ़ गई है। अपने प्रभाव क्षेत्र में पोस्टर के माध्यम से नक्सली उपस्थिति दर्ज कराने की कवायद कर रहे हैं। इनकी नजर लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों पर है। वे उन्हें पैसे और रुतबे का लालच देकर अपने संगठन से जोड़ने में लगे हैं, ताकि फिर से अपना वर्चस्व कायम कर सकें।

राज्य के पुलिस महानिदेशक एमवी राव के मुताबिक, प्रवासी मजदूरों पर नक्सलियों की नजर है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी मजदूरों को नक्सली समूहों से जोड़ने में उन्हें अभी सफलता नहीं मिल रही है, क्योंकि ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। उधर, कोल्हान के सारंडा वन क्षेत्र, सरायकेला-खरसांवा व खूंटी सीमा क्षेत्र, पारसनाथ का इलाका और बूढ़ा पहाड़ का क्षेत्र इनकी शरणस्थली बना हुआ है।

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इसी रास्ते नक्सली (Naxalites) सारंडा से गिरिडीह-पारसनाथ आते-जाते हैं। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में नक्सलियों का यह रूट ध्वस्त हो गया था। पर नक्सली इस रूट को एक बार फिर से मजबूत करने में जुटे हैं, ताकि उनकी गतिविधियां तेज हो सके। सूचना मिल रही है कि इसके लिए वे गांवों के बेरोजगार युवाओं की भर्ती भी कर रहे हैं।

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