जीवन कंडुलना
झारखंड की राजधानी रांची में नक्सल संगठन का जोनल कमांडर जीवन कंडुलना (Jeevan Kandulna) उर्फ पतरस कंडुलना ने रांची पुलिस लाइन में सरेंडर कर दिया। राज्य की पुलिस करीब 10 सालों से जीवन की तलाश कर रही थी। यहां तक कि पुलिस ने उसकी छानबीन के लिए करीब 4 ऑपरेशन भी चलाए थे। राज्य के अलग-अलग जिलों में नक्सली जीवन के खिलाफ करीब 72 आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे में राज्य प्रशासन के घर वापसी अभियान के तहत जीवन का सरेंडर करना पुलिस के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
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जीवन (Jeevan Kandulna) खूंटी के रानिया का रहने वाला है और करीब 2009 से नक्सली संगठन में सक्रिय रहा। पुलिस ने जीवन को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 2 लाख रुपये का चेक दिया, जिससे कि वो अपनी सामान्य जिंदगी शुरू कर सके। साथ ही उसके ऊपर रखे गये 10 लाख का इनाम भी जल्द उसके खाते में भेज दिया जायेगा। साथ ही जीवन की निशानदेही पर 4 राइफल, कई ग्रेनेड, केन बम, तीन-कमान, आईईडी और सैकड़ों जिंदा कारतूस बरामद किया गया।
Jharkhand: A naxal carrying a reward of Rs 10 lakhs on his head surrendered before district administration in Ranchi today. pic.twitter.com/i7199qsVPs
— ANI (@ANI) February 28, 2021
पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के बाद जीवन (Jeevan Kandulna) ने पत्रकारों से कहा कि वह सरकार की आत्मसमर्पण नीति और विकास कार्यों से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटना चाहता है। साथ ही उसने अपने दूसरे नक्सली साथियों से भी हिंसा का रास्ता छोड़कर आम जिंदगी जीने की अपील की। इस दौरान जीवन ने नक्सलवाद का काला सच भी सामने रखा। उसके अनुसार, संगठन में सबसे ज्यादा शोषण झारखंड कैडरों का ही होता है।
वहीं इस कामयाबी के मौके पर स्थानीय एसएसपी सुरेंद्र झा ने बताया कि प्रशासन की सरेंडर नीति से प्रभावित होकर हार्डकोर नक्सली जीवन कंडुलना (Jeevan Kandulna) मुख्यधारा में लौटने का फैसला स्वागत योग्य है। उपायुक्त छवि रंजन ने भी एसएसपी की बात पर अपनी देते हुये कहा कि सरकार की पॉलिसी के साथ-साथ अगर जीवन को अपनी जिंदगी में कुछ करने की इच्छा हो तो प्रशासन उसका जरूर साथ देगी।
गौरतलब है कि पिछले 10 सालों से पुलिस के लिए सरदर्द बना कुख्यात नक्सली जीवन कंडुलना (Jeevan Kandulna) के सरेंडर से पुलिस ने चैन की सांस ली है। हालांकि ये माना जाता है कि पिछले कुछ समय से संगठन में जीवन का रूतबा कम हो गया था, जिससे तंग आकर उसने संगठन से तौबा कर लिया और सामान्य जिंदगी जीने के लिए सरेंडर का रास्ता अपना लिया।
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