Jharkhand: अब नक्सलियों की खैर नहीं, गिरिडीह में पुलिस ने की ये मास्टर प्लानिंग

झारखंड (Jharkhand) के गिरिडीह जिले का पारसनाथ पहाड़ वाला इलाका नक्सलियों (Naxals) का सेफ जोन माना जाता है। इसी इलाके में नक्सलियों का ठिकाना है, जहां वे अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए योजना बनाते हैं।

Naxals

नक्सलियों (Naxals) के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए गिरिडीह पुलिस (Police) और सीआरपीएफ (CRPF) ने उन्हें उनके ही बिल में घेरने की तैयारी कर ली है। पुलिस ने इसके लिए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है।

झारखंड (Jharkhand) के गिरिडीह जिले का पारसनाथ पहाड़ वाला इलाका नक्सलियों (Naxals) का सेफ जोन माना जाता है। इसी इलाके में नक्सलियों का ठिकाना है, जहां वे अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए योजना बनाते हैं। नक्सलियों के इन मंसूबों पर पानी फेरने के लिए गिरिडीह पुलिस (Police) और सीआरपीएफ (CRPF) ने उन्हें उनके ही बिल में घेरने की तैयारी कर ली है। पुलिस ने इसके लिए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है।

बता दें कि नक्सलियों (Naxalites) द्वारा इन दिनों लेवी नहीं मिलने के कारण विकास कार्यों में बाधा पहुंचाई जा रही है। सड़क निर्माण कार्य में लगे कंस्ट्रक्शन कंपनी के वाहनों को नक्सली आए दिन आग के हवाले कर रहे हैं। हाल ही में बिरनी प्रखंड के धर्म टोकोपुर नदी पर करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण किया जा रहा था। पर नक्सलियों ने बीते सप्ताह निर्माण कंपनी के तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

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कयास लगाया जा रहा है कि इसके पीछे बिहार और झारखंड के कुख्यात नक्सली गिरोह का हाथ है। जानकारी के अनुसार, पारसनाथ सहित गिरिडीह के विभिन्न नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बाधित करने अथवा लेवी लेने की की मंशा से आंजाम दी जाने वाली सभी नक्सली घटनाओं की प्लानिंग नक्सलियों (Naxals)  द्वारा पारसनाथ के इलाके में ही की जाती है।

पुलिस प्रशासन ने गिरिडीह के धुर नक्सल प्रभावित पारसनाथ पहाड़ सहित खुखरा, पीरटांड़, डुमरी, निमियाघाट और मधुबन थाना क्षेत्रों में सक्रिय नक्सलियों को घेरने की मुकम्मल तैयारी कर ली है। इसके तहत कुख्यात नक्सली अजय महतो के घर पांडेडीह गांव में सीआरपीएफ में अपना एक पीकेट खोल दिया है।

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साथ ही अब जिले के डुमरी के टेसाफुली एवं मधुबन के ढोल कट्टा गांव में भी सीआरपीएफ द्वारा पिकेट बनाने की योजना है। इस योजना को धरातल पर लाने के लिए जिला प्रशासन ने फौरी तौर पर बंद पड़े विद्यालयों को फिलहाल सीआरपीएफ के हवाले कर दिया है, जहां पर अस्थाई रूप से सीआरपीएफ (CRPF) अपने पिकेट बना सके।

यह अस्थाई पिकेट तब तक इन विद्यालयों से ही संचालित होगा, जब तक इन गांवों में सीआरपीएफ की स्थाई पिकेट का निर्माण नहीं हो जाता। बोकारो सीआरपीएफ के डीआईजी ऑपरेशन दिलीप कुमार चौधरी के आग्रह पर गिरिडीह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इन गांवों में फिलहाल बंद पड़े विद्यालयों को सीआरपीएफ कैंप (CRPF Camp) के रूप में आवंटित कर दिया है।

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नक्सलियों (Naxals) के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से मास्टर प्लान और समीक्षा को लेकर 26 नवंबर को झारखंड के आईजी ऑपरेशन साकेत कुमार सिंह और सीआरपीएफ के आईजी महेश्वर दयाल मधुबन पहुंचे थे। सबसे पहले इन दोनों अधिकारियों ने कुख्यात नक्सली अजय महतो के गांव पांडेडीह में बने सीआरपीएफ कैंप का जायजा लिया।

इसके बाद गांव में नए सीआरपीएफ कैंप (CRPF Camp) के निर्माण के लिए आसपास के इलाकों का जायजा लिया। इसके बाद अधिकारियों ने पारसनाथ पहाड़ पर जाकर वहां नए सिरे से सीआरपीएफ कैंप बनाने पर विचार-विमर्श किया।

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इस दौरान जिले के पुलिस पदाधिकारियों और सीआरपीएफ के अधिकारियों ने संयुक्त बैठक कर नक्सल मूवमेंट और उसके खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों से जुड़ी जानकारियों पर चर्चा की। इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों की स्थिति की जानकारी भी आईजी को दी गई। इस दौरान आईजी ने अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिया।

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