Bijapur Sukma Encounter: जंगलों से निकले नक्सली और कर दी ताबड़तोड़ फायरिंग, गांव वालों ने सुनाई उस दिन की आंखों-देखी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा-बीजापुर सीमा पर 3 अप्रैल को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ (Bijapur Sukma Encounter) में 22 जवान शहीद हो गए।

Bijapur Sukma Encounter

मुठभेड़ (Bijapur Sukma Encounter) छत्तीसगढ़ के बीजापुर तेकुलागुडेम गांव के पास हुई थी। इस हमले के बाद स्थानीय लोग घर छोड़कर चले गए थे।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा-बीजापुर सीमा पर 3 अप्रैल को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ (Bijapur Sukma Encounter) में 22 जवान शहीद हो गए। इस हमले में 31 जवान घायल हो गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हमले पर शोक व्यक्त किया और हर संभव सहायता की पेशकश की।

वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि मुठभेड़ चार घंटे चली, सुरक्षाबलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश किया और बहादुरी से लड़े। बता दें कि यह मुठभेड़ (Bijapur Sukma Encounter) छत्तीसगढ़ के बीजापुर तेकुलागुडेम गांव के पास हुई थी।

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नक्सलियों द्वारा घात लगाकर सुरक्षाबलों पर किए गए इस हमले के बाद स्थानीय लोग घर छोड़कर चले गए थे। हालांकि अब वे वापस लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें बंदूक के बल पर नक्सलियों ने घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया गया था।

न्यूज एजेंसी एएनआई को वहां के स्थानीय निवासी रमेश ने बताया, “नक्सलियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलाबारी हुई थी। हम डर गए थे।हमारे पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। गांव के ही मेरे कई दोस्त अभी भी डरे हुए हैं।”

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उन्होंने कहा, “हम सभी अपने ट्रकों पर सवार हो गए और पास के एक गांव में चले गए। जिन्होंने गांव नहीं छोड़ा उन्हें नक्सलियों ने पुलिस को फोन करने पर धमकी दी। पुलिस ने नक्सलियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए हमारी पिटाई की। हम वापस आ गए हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।”

एक अन्य ग्रामीण ने बताया, “जब सुरक्षाकर्मी बड़ी संख्या में आ रहे थे, तो हम सभी डर गए और भाग गए। हम खतरे को भांप सकते थे औ कुछ ही मिनटों बाद नक्सलियों का एक दस्ता पास के जंगलों से सामने आया और गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने भी फायरिंग शुरू कर दी। यही कारण है कि हम सभी ने भागने का फैसला किया।”

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गांव वालों ने कहा, “अब हम घर वापस आ गए हैं। लौटने पर हमें रास्ते में नक्सलियों के कई शव दिखाई दिए। फिर अधिकारी पहुंचे और शवों को ले गए।”

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