Chhattisgarh: इन नक्सल प्रभावित गांवों से राहत की खबर, कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर ऐसे जागरुक हो रहे लोग

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित 13 गांवों (Naxal Affected Villages) के सभी 775 लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है। ये सभी गांव अभी भी विकास से काफी दूर हैं।

Naxal Affected Villages

इन नक्सल प्रभावित गांवों (Naxal Affected Villages) में 45 से अधिक उम्र के हर व्यक्ति ने वैक्सीनेशन करवा लिया है। इस आयु वर्ग के सभी 775 लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित 13 गांवों (Naxal Affected Villages) के सभी 775 लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है। ये सभी गांव अभी भी विकास से काफी दूर हैं। यहां न बिजली पहुंची है, न मोबाइल नेटवर्क है और न ही सड़क है। एक सड़क है जो कोंटा से होते हुए गोलापल्ली तक जाती है। लेकिन इसे भी जगह-जगह से नक्सलियों ने काट दिया है।

इतने मुश्किल हालातों के बावजूद इन 13 गांवों में कोरोना को लेकर गजब की जागरूकता दिखी। इन गांवों में 45 से अधिक उम्र के हर व्यक्ति ने वैक्सीनेशन करवा लिया है। इस आयु वर्ग के सभी 775 लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है। इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं भले ही न हो, लेकिन कोरोना की टेस्टिंग की सुविधा है।

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ये 13 गांव राजगुड़ा, तारलागुड़ा, जिनालंका, भाकतीगुड़ा, गोलापल्ली, मनादीगुड़ा, रामपुरा, वंजागुड़ा, सिंगारम, मासौल, रसतंग, गोंदीगुड़ा, जबेली हैं। कोरोना को लेकर यहां के लोगों की जागरूकता इस बात से ही समझी जा सकती है कि करीब हर गांव के बाहर बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध के बैनर लगे हुए हैं। सभी गांवों में बाहर से आए लोगों के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं।

ऐसा नहीं है कि इन गांवों (Naxal Affected Villages) के लोग शुरू से वैक्सीनेशन के लिए जागरुक थे। गोलापल्ली के स्वास्थ्य केंद्र में तैनात ANM बीवी रमन्ना और प्रतिभा नेताम बताती हैं कि जब वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी तब लोग कहते थे कि खराब हो चुके इंजेक्शन हमें लगा रहे हो।

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दरअसल, वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को सिरदर्द, बुखार जैसी शिकायतें आती हैं। ऐसे में गांव के लोग समझते थे कि खराब हो चुकी वैक्सीन लगाने से ऐसा हो रहा है। प्रतिभा बताती हैं कि अब भी कई गांव वाले ऐसा ही समझते हैं। हम लोगों को बता रहे हैं कि वैक्सीन खराब नहीं है बल्कि यह लक्षण है, और ऐसा होना सामान्य है। गांवों के सब-सेंटरों में कोरोना की जांच के लिए RT-PCR, एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था थी।

गोलापल्ली सब-सेंटर में तैनात RHO गोविंद दिरधो बताते हैं कि हमारे सेंटर में कोरोना की जांच के लिए एंटीजन किट है। हम RT-PCR सैंपल भी लेते हैं। सैंपल गांव में ही कलेक्ट होते हैं फिर उसे कोंटा भेजा जाता है। लॉकडाउन से पहले तक हम हाट बाजार क्लिनिक में लोगों की कोरोना जांच कर रहे थे। सब सेंटरों में भी जांच कर रहे थे। अब लॉकडाउन लगने के बाद सिर्फ सब-सेंटर में ही कोरोना की जांच हो रही है।

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मेहता गांव के सचिव मोहम्मद जावेद बताते हैं कि कोरोना के पहले दौर में गांवों में ऐसी जागरुरता नहीं थी। लेकिन दूसरी लहर आने के बाद हालात बदले हैं। गांव के ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं लेकिन वे आंध्र में फैले कोरोना के नए वैरियंट के बारे में जानकर हरे हुए हैं। यही कारण है कि अब लोग गांवों में कोरोना टेस्ट करवाने के लिए तैयार हो रहे हैं।

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