दंतेवाड़ा: खत्म हो रहा है नक्सलियों का खौफ, लाल आतंक के गढ़ में तोड़ा गया नक्सली स्मारक

लाल आतंक का गढ़ कहलाने वाले बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपने नक्सली साथियों के स्मारक (Naxali Memorial)  बनवा रहे हैं। लेकिन, दंतेवाड़ा पुलिस Police) ने अंदरूनी गांवों में अपना सूचना तंत्र इतना मजबूत कर लिया हैं कि अब नक्सलियों के स्मारक बनते ही पुलिस को तुरंत सूचना मिल रही है।

Naxali Memorial

नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले नीलावाय गांव के लोगों ने यहां बने नक्सली स्मारक को अपने हाथों से तोड़ दिया।

नक्सलियों (Naxals) का शहीदी सप्ताह शुरू होने वाला है। इसलिए नक्सली छत्तीसगढ़ में लाल आतंक का गढ़ कहलाने वाले बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपने नक्सली साथियों के स्मारक (Naxali Memorial) बनवा रहे हैं। लेकिन, दंतेवाड़ा पुलिस ने अंदरूनी गांवों में अपना सूचना तंत्र इतना मजबूत कर लिया है कि अब नक्सलियों के स्मारक बनते ही पुलिस को तुरंत सूचना मिल रही है।

इसके अलावा पुलिस ने स्थानीय लोगों का विश्वास भी जीता है। इसकी वजह से अब गांव वाले भी खुलकर नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ सामने आ रहे हैं और उनकी सूचना पुलिस को दे रहे हैं। इतना ही नहीं पुलिस के साथ-साथ नक्सलियों के स्मारक (Naxali Memorial) को गांव के लोग अपने हाथों से तोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में 22 जुलाई को नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले नीलावाय गांव के लोगों ने यहां बने नक्सली स्मारक को अपने हाथों से तोड़ दिया।

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यह स्मारक नक्सली कमांडर गुंडाधूर का था। दरअसल, नक्सली अपने मारे जाने वाले साथियों की याद में सुदूर गांवों में शहीदी स्मारक बनाते हैं। स्मारक बनाने के लिए नक्सली दबाव डालकर गांव के लोगों से रुपये भी वसूलते हैं और मुफ्त में उनसे मजदूरी भी कराते हैं। गांव वालों के मुताबिक, स्मारक के लिए नक्सलियों ने हर घर से 200-200 रुपए चंदा वसूला था।

इतना ही नहीं, नक्सलियों ने यह स्मारक (Naxali Memorial) बनाने की जिम्मेदारी भी जबरन ग्रामीणों को ही दी थी। उस वक्त नक्सलियों के डर से गांव वाले कुछ बोल नहीं पाए थे। ग्रामीणों ने इसे बनाना तो शुरू किया, लेकिन स्मारक के बारे में खुद पुलिस को सूचना दी और फिर 22 जुलाई को पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों ने ही इस स्मारक को ध्वस्त कर दिया।

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गौरतलब है कि अभी दो दिन पहले ही हिरोली में नक्सली गुड्डी के स्मारक बनाए जाने की सूचना पहली बार ग्रामीणों ने खुद पुलिस को दी थी और डीआरजी के जवानों के साथ मिलकर उस स्मारक को तोड़ दिया था।

बता दें कि दंतेवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों ने मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के स्मारक (Naxali Memorial) बनाए हैं। इनमें से कई सुदूर गांवों में अभी तक फोर्स की भी आवाजाही नहीं थी। इसलिए नक्सली डरा-धमकाकर गांव वालों से वसूली भी करते थे और स्मारक बनवाने के लिए जबरन काम भी करवाते थे।

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लेकिन हाल ही में नक्सल प्रभावित इलाकों में जैसे-जैसे सड़क निर्माण और विकास कार्य तेजी से बढ़ रहे हैं, इन इलाकों में सुरक्षाबलों की पहुंच भी बढ़ रही है। जिससे ग्रामीणों का आत्मविश्वास बढ़ा है। बता दें कि पहले नक्सलियों के खौफ से ग्रामीण नक्सली स्मारक (Naxali Memorial) तोड़ना तो दूर की बात थी, इसके बनने की सूचना तक पुलिस से साझा नहीं करते थे।

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नीलावाया में स्मारक तोड़ने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि नक्सली स्मारक (Naxali Memorial) बनाने में 20 दिन लग जाते हैं। लेकिन, वे गांव में अब इसे नहीं बनने देंगे। दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने कहा कि यह बड़ा बदलाव है। पुलिस के आला अधिकारियों का मानना है कि यह दर्शाता है कि अब ग्रामीणों के मन में से भी धीरे-धीरे नक्सलियों का खौफ खत्म हो रहा है।

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