भोपाल के इंजीनियर ने Army के लिए बनाया खास जेनरेटर, बेहद उंचाई वाले ठंडे इलाकों में भी करेगा काम

सेना (Army) को ऐसा जेनरेटर मिलने वाला है जो बेहद उंचाई वाले ठंडे इलाकों में काम करेगा। दरअसल, भोपाल के विजय ममतानी ने ऐसा जेनरेटर (Generator) बनाया है जो बर्फीली वादियों में भी काम करेगा।

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सियाचिन की -40 डिग्री तापमान वाले उंचे इलाके में सेना के जवानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती है। यहां जरूरत से ज्यादा ठंड पड़ने की वजह से आम जेनरेटर (Generator) ज्यादा कारगर नहीं हो पाते।

सेना (Army) को ऐसा जेनरेटर मिलने वाला है जो बेहद उंचाई वाले ठंडे इलाकों में काम करेगा। दरअसल, भोपाल के विजय ममतानी ने ऐसा जेनरेटर (Generator) बनाया है जो बर्फीली वादियों में भी काम करेगा। वे इस पर पांच साल से काम कर रहे हैं। विजय पहला जेनरेटर सेना को देंगे।

इंडियन आर्मी ब्यूरो से उन्हें इसे बनाने का ऑर्डर मिला है। इसका पहला सफल ट्रायल सियाचिन आर्मी बेस कैंप पर 16 जनवरी से 1 फरवरी के बीच हो चुका है। विजय सेना को अगले साल अप्रैल में ये जेनरेटर देंगे। टीटीनगर के रहने वाले विजय इंजीनियरिंग कर चुके हैं। वे फिलहाल स्मार्ट सिटी स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर का हिस्सा हैं।

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विजय के मुताबिक, “आर्मी डिजाइन ब्यूरो द्वारा पिछले साल दिसंबर में आरटेक-2019 एग्जीबिशन आयोजित की गई थी। इसमें सेना के कई मेजर और कर्नल शामिल हुए थे। उन्होंने देशभर के युवाओं के ऐसे इनोवेशन देखे, जो मेड-इन-इंडिया थे और आर्मी के काम आ सकते हैं। इसी दौरान उन्हें हमारा जेनरेटर (Generator) पसंद आया।”

विजय आगे बताते हैं, “जनवरी में मेरे पास फोन आया कि क्या आप सियाचिन में अपना जेनरेटर लेकर आ सकते हैं। यह फोन आर्मी बेसकैंप से मेजर रोहित शर्मा का था। रोहित शर्मा ने बताया कि यहां 15000 फीट की ऊंचाई पर -40 डिग्री का तापमान है और -33 डिग्री पर फ्यूल जाम हो जाने के कारण वहां के वॉकी-टॉकी, लाइटिंग व हीटिंग सिस्टम और बैटरी चार्जिंग सिस्टम भी काम नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद हम जेनरेटर लेकर चंडीगढ़ पहुंचे। वहां से हेलीकॉप्टर से हमें सियाचिन पहुंचाया गया।”

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विजय के अनुसार, “यहां जवानों को 7 दिन तक जेनरेटर को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी गई। यह जेनरेटर नेचुरल गैस से चलता है और इसमें कोई मूवमेंट वाला हिस्सा नहीं है। नेचुरल गैस का फ्रीजिंग प्वाइंट -47 डिग्री है। इसलिए वहां यह प्रयोग सफल हुआ। मेजर ने हमें बताया कि मार्च से सितंबर तक यहां अच्छी धूप आती है, उस दौरान यदि यह जेनरेटर सोलर तकनीकि से काम करे तो किफायती भी होगा। यही वजह है कि अब हम सोलर और नेचुरल गैस से काम करने वाला हाइब्रिड जेनरेटर (Generator) तैयार कर रहे हैं।”

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बता दें कि सियाचिन की -40 डिग्री तापमान वाले उंचे इलाके में सेना के जवानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती है। ऐसे में जवानों को जेनरेटर से ही काम चलाना पड़ता है। लेकिन यहां जरूरत से ज्यादा ठंड पड़ने की वजह से आम जेनरेटर (Generator) ज्यादा कारगर नहीं हो पाते।

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