War of 1971: वीर सपूतों ने दुश्मनों से छीन ली थी ‘जरपाल क्वीन’, इसे ‘युद्ध ट्रॉफी’ के तौर पर पूरे देश में ले जाया जाता है

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण लड़ाई (War of 1971) लड़ी गई थी। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी कांप उठता होगा।

Jarpal Queen

War of 1971: जीप का नाम ‘जरपाल क्वीन’ (Jarpal Queen) है। हरे रंग की इस जीप से युद्ध के दौरान भारतीय जवानों के पराक्रम और दुश्मन की हार का प्रतीक भी माना जाता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण लड़ाई (War of 1971) लड़ी गई थी। युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी कांप उठता होगा। बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में पाकिस्तान के जवानों ने सरेंडर किया था। इसके साथ ही बांग्लादेश को आजादी मिली और वह दुनिया के नक्शे पर अलग देश के रूप में सामने आया।

इस युद्ध (War of 1971) के दौरान भारत ने पाकिस्तान की एक जीप को अपने कब्जे में लिया था। ये जीप आज भी मौजूद है और इसे ‘युद्ध ट्रॉफी’ के तौर पर पूरे देश में ले जाया जाता है। इस जीप का नाम ‘जरपाल क्वीन’ (Jarpal Queen) है। हरे रंग की इस जीप से युद्ध के दौरान भारतीय जवानों के पराक्रम और दुश्मन की हार का प्रतीक भी माना जाता है।

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ये पाकिस्तान के  खिलाफ भारतीय सेना (Indian Army) की जीत का प्रतीक है। ‘जरपाल क्वीन’ एक ‘विल्लीज’ जीप है, जिसका नाम पाकिस्तान में जरपाल पर रखा गया है। इस जीप की मौजूदा कंडीशन बेहद शानदार है। इस बॉडी चमकदार है और बेहतर कंडीशन में है। जीप पर उर्दू से लिखावट की गई है।

खास बात यह है कि लेह से करीब 40 किलोमीटर दूर तीन ग्रेनेडियर रेजीमेंट शिविर में आकर्षण का केंद्र है। 50 वर्ष पुरानी इस जीप में किसी समय में ‘रिकॉयलेस गन’ फिट थी।

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मौजूदा समय में लेह से 40 किलोमीटर दूर तीन ग्रेनेडियर रेजीमेंट के शिविर में एक पाकिस्तानी सैन्य जीप शान से हमारी शोभा बढ़ा रही है। यह जीप कुपवाड़ा, जयपुर, शिमला, फिरोजपुर और मेरठ में ले जाई चुकी है। जहां-जहां रेजीमेंट जाती है ये जीप भी साथ ही जाती है।

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