Kargil War: वीर चक्र विजेता सूबेदार निर्मल सिंह, पत्नी के लिए उनकी वर्दी ही है सबसे अनमोल चीज

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) का डंका बजा था। पाकिस्तानी सैनिकों को हर मोर्चे पर बुरी तरह से विफल किया गया था।

Subedar Nirmal Singh

फाइल फोटो।

Kargil War: युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए सूबेदार निर्मल सिंह (Subedar Nirmal Singh) को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। गुरदासपुर के गांव छीना बेट में रहने वाली उनकी पत्नी मंजीत कौर पति की वर्दी को बेहद अनमोल मानती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) का डंका बजा था। पाकिस्तानी सैनिकों को हर मोर्चे पर बुरी तरह से विफल किया गया था। पाकिस्तान को हराने के लिए हमारे जवान किसी भी हद तक गुजर गए थे। कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की रणनीति और सूझबुझ के चलते दुश्मन पस्त हो गए थे। वीर सपूतों ने एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखा था।

इस युद्ध में वीर सूबेदार निर्मल सिंह (Subedar Nirmal Singh) ने शहादत देकर बहादुरी की मिसाल पेश की थी। युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए उन्हें मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। गुरदासपुर के गांव छीना बेट में रहने वाली उनकी पत्नी मंजीत कौर अपनी पति की वर्दी को बेहद अनमोल मानती हैं।

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वे बताती हैं, “उनकी शहादत के बाद यह वर्दी घर पर भिजवाई गई थी। मेरे लिए यही सबकुछ है। यह वर्दी उनके पार्थिव शरीर के साथ घर आई थी। मैंने इस वर्दी को 20 साल बाद भी संभालकर रखा है। जब कभी उनकी बहुत याद आती है या कोई मुश्किल घड़ी आती है तो इसे निकाल कर देख लेती हूं।”

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मंजीत कौर आगे बताती हैं, “मुझे ऐसा करने के बाद एक सहारा मिलता है। ऐसा करने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है और किसी मुश्किल हालात से निपटने में मदद करता है। मैं जब शहीदी स्मारक पर अपने पति के छपे नाम पर हाथ फेरती हूं तो मुझे उनके स्पर्श की अनुभूति होती है। मुझे अपनी पति की शहादत पर गर्व है और हमेशा रहेगा।”

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