Indian Army की शान है पैराशूट रेजिमेंट, जानें कैसे कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका

भारत को 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद अपनी थलसेना, वायुसेना और नौसेना मिली। सेना आजादी के बाद लड़े गए हर युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए दुश्मनों से टक्कर ली और जीत भी दिलाई।

Parachute Regimen

File Photo

पैराशूट रेजिमेंट (Parachute Regiment) की खासियत यह है कि ये देश के सभी सैन्य बलों को हवाई मदद पहुंचाती है। कारगिल युद्ध के दौरान 10 में से 9 पैराशूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए की गई थी।

भारत को 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद अपनी थलसेना, वायुसेना और नौसेना मिली। सेना आजादी के बाद लड़े गए हर युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए दुश्मनों से टक्कर ली और जीत भी दिलाई। थलसेना, वायुसेना और नौसेना की अलग-अलग भूमिका है। युद्ध में थलसेना की कई रेजिमेंट समय-समय पर जरूरत के मुताबिक हिस्सा लेती रही हैं। जीमेंट्स को जरूरत के हिसाब से मोर्चों पर भेजा जाता है।

ऐसे ही 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान सैनिकों को भस्म करने के लिए पैराशूट रेजिमेंट को मोर्चे पर भेजा गया था। इस रेजिमेंट की स्थापना आजादी से पहले 29 अक्टूबर 1941 को हुई थी।

नक्सलियों के कैंप में घुसकर CRPF ने मचाया था तांडव, जानें कोबरा यूनिट के डेप्यूटी कमांडेंट उदय दिव्यांशु और उनकी टीम की कहानी

इस रेजिमेंट की खासियत यह है कि ये देश के सभी सैन्य बलों को हवाई मदद पहुंचाती है। कारगिल युद्ध के दौरान 10 में से 9 पैराशूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए की गई थी। इस दौरान पैराशूट बटालियन 6 और 7 ने मुश्कोह घाटी को फतेह किया था। जबकि पैराशूट बटालिन 5 ने बाटालिक प्वाइंट तिरंगा लहराया था।

ये भी देखें-

पैराशूट रेजिमेंट (Parachute Regiment) के जवान लाट टोपी पहनते हैं। इन्हें दुश्मन ‘लाल शैतान’ के नाम से भी जाने जाते हैं। इनका जंग के मैदान में पहुंचना ही दुश्मन का मनोबल गिराने के बराबर होता है। जैसी ही ये रेजिमेंट जंग के मैदान में पहुंचती है तो युद्ध में पहले से डटे सैनिकों का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। इनके पहुंचते ही सेना में ऊर्जा का संचार होता है। पैराशूट रेजिमेंट के जवान दुश्मनों पर कहर बनकर टूटते हैं।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें