नक्सलियों के कैंप में घुसकर CRPF ने मचाया था तांडव, जानें कोबरा यूनिट के डेप्यूटी कमांडेंट उदय दिव्यांशु और उनकी टीम की कहानी

पश्चिम बंगाल के मेताला के घने बीहड़ में माओवादियों एरिया कमांडर सिधु सोरेन आस-पास के क्षेत्रों के सभी नक्सलियों को एकत्रित कर बड़े हमले की प्लानिंग में था। इससे पहले के हमलों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स ने बुरी तरह से विफल किया था।

CRPF

फाइल फोटो।

खबर पक्की थी रात साढ़े 10 बजे उदय के नेतृत्व में सीआरपीएफ (CRPF) की कोबरा 202 यूनिट वेस्ट बंगाल स्टेट पुलिस के साथ कॉम्बिंग के उद्देश्य से मेताला के जंगलों में पहुंच गई थी।

पश्चिम बंगाल के मेताला के घने बीहड़ में नक्सली एरिया कमांडर सिधु सोरेन आस-पास के क्षेत्रों के सभी नक्सलियों को एकत्रित कर बड़े हमले की प्लानिंग में था। इससे पहले के हमलों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स ने बुरी तरह से विफल किया था। सीआरपीएफ (CRPF) की कोबरा यूनिट 202 के डेप्यूटी कमांडेंट उदय दिव्यांशु ने कई माओवादियों को खात्म कर दिया था।

नक्सलियों के कमांडर सिधु सोरेन कोबरा टीम के इस जांबाज अफसर समेत अन्य जवानों को टारगेट करने की प्लानिंग बना रहे थे। लेकिन इसकी भनक उदय दिव्यांशु को लग गई थी। खबर पक्की थी तो 25 जुलाई रात साढ़े 10 बजे उदय के नेतृत्व में सीआरपीएफ (CRPF) की कोबरा 202 यूनिट वेस्ट बंगाल स्टेट पुलिस के साथ कॉम्बिंग के उद्देश्य से मेताला के जंगलों में पहुंच गई थी।

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उस रात जवान जीरो विजिबिलिटी में उस खतरनाक बीहड़ की खाक छानते रहे। 26 जुलाई सुबह तड़के चार बजे सीआरपीएफ (CRPF) नक्सलियों के ठिकानों का पता लगा चुकी थी। इसके बाद पंचम लाल के नेतृत्व में उप निरीक्षक मंगला प्रसाद सिंह, सिपाही आशीष कुमार तिवारी, सिपाही आनंद कुमार तिवारी और ग्रुप सी के अन्य जवान बेहद सावधानीपूर्वक कैंप समूह की ओर बढ़े।

हालांकि, नक्सलियों को जवावों के आने की भनक लग गई। इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई। फिर क्या था पंचम लाल आशीष कुमार तिवारी, लाल बहादुर और एस वाई रेड्डी की एसॉल्ट टीम सामने से फायरिंग का मुंह तोड़ जवाब देते हुए दुश्मन के कैम्प की ओर बढ़ गई थी।

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वहीं, इस दौरान हवलदार घरमपाल, अरुण कुमार पांडे और सिविल पुलिस प्रतिनिधि चंद्र शेखर की एसॉल्ट टीम ने तीन माओवादियों के छुपने की जगह को निशाना बनाया। सभी जवानों और अलग-अलग टीम ने फायरिंग कर दुश्मनों को तीन तरफ से घेर लिया था।

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इस दौरान उदय दिव्यांशु की नजर कैंप से बाहर निकले माओवादियों के कमांडर सिधु सोरेन पर पड़ी और उन्होंने ठान लिया कि इसे भागने नहीं देना। फिर क्या था जवानों की फायरिंग में सिधु सोरेन के चेले तो मारे ही गए बल्कि साथ में वह भी खाक कर दिया गया। बता दें कि दिलेर दिव्यांशु ने एक दो नहीं आधा दर्जन से अधिक सफल ऑपरेशन की अगुवाई की है। वे सीआरपीएफ के बहादुर जवानों में से एक माने जाते हैं।

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