कारगिल युद्ध: …जब चार दिन भूखे रहने के बावजूद दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे दशरथ सिंह गुर्जर

पाक की इस हरकत का जवाब सेना ने बखूबी दिया। करीब 40 दिन चले युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा। युद्ध में एक जवान थे जिन्होंने दुश्मनों को नेस्तनाबूद किया।

राजपूत रेजीमेंट के घातक प्लाटून में कमांडर थे दशरथसिंह गुर्जर।

पाक की इस हरकत का जवाब सेना ने बखूबी दिया। करीब 40 दिन चले युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा। युद्ध में एक जवान थे जिन्होंने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया था।

कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने भारत को खुलेआम धोखा दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ लगातार बातचीत करते थे। संबंधों का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 19 फरवरी, 1999 को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों, सांसदों, लेखकों, कलाकारों को लेकर बस से लाहौर पहुंचे थे। लेकिन पीठ पीछे पाकिस्तान ने इतनी बड़ी साजिश भारत के खिलाफ रची। पाक सेना ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया।

पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब सेना ने बखूबी दिया और करीब 40 दिन चले युद्ध में दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा। इस युद्ध में एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने चार दिन तक भूखे पेट रहकर दुश्मनों को नेस्तनाबूद किया था। इस जवान का नाम दशरथ सिंह गुर्जर है। वह राजपूत रेजीमेंट के घातक प्लाटून में कमांडर थे। दशरथ सिंह मध्य प्रदेश के मंदसौर के गांव गुर्जर बर्डिया रहने वाले हैं।

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वह बताते हैं कि ‘कंधे पर भारी-भरकम रॉकेट लांचर लादकर खड़ी पहाड़ियों पर चढ़ना और निशाना लगाकर पाकिस्तानियों के बंकर पर रॉकेट दागने का काम मेरे जिम्मे था। हमने दुश्मनों के कई बंकर उड़ा दिए थे। जंग छिड़ने के शुरूआती तीन-चार दिन तो कुछ भी पता नहीं रहा।’

गुर्जर के मुताबिक, खाना-पीना भूलकर हम मिशन पर डटे रहे। पुंज क्षेत्र में हमारी घातक प्लाटून में 22 कमांडो थे। हम सब मिलकर दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे। रॉकेट लांचर के फॉयरर के तौर पर टीम को लीड करने की जिम्मेदारी मेरी ही थी।

बता दें कि दशरथ सिंह गुर्जर को कारगिल युद्ध के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के लिए विशेष सेवा पदक सहित कई अवॉर्ड मिले हैं। वह 2010 में सेना से रिटायर हो गए थे। इस युद्ध में सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च कर दुश्मनों को हार का मुंह दिखाया था। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत की 21वीं वर्षगांठ 26 जुलाई को मनाई जाएगी।

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