कारगिल युद्ध: सेना ने द्रास से लेकर टरटोक तक लहराया था तिरंगा, दुश्मन हर मोर्चे पर थे फेल

युद्ध को जीतने के लिए सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे जिसके बाद द्रास से लेकर टरटोक तक सेना तिरंग लहरकार वापस लौटी। सेना के सैनिकों ने शानदार युद्ध किया था।

Kargil war

युद्ध को जीतने के लिए सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे जिसके बाद द्रास से लेकर टरटोक तक सेना तिरंग लहरकार वापस लौटी। भारतीय सेना के सैनिकों ने द्रास, काकसार, बाटलिक और टरटोक सेक्टरों में शानदार युद्ध किया था।

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत की 21वीं वर्षगांठ 26 जुलाई को मनाई जाएगी। इस युद्ध में सेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता है। ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया।पाकिस्तान कश्मीर हड़पने की सोचकर कब्जा करने आया था लेकिन सेना ने उन्हें भगा-भगाकर मारा। सेना के सामने इस युद्ध में एक से बढ़कर एक कई चुनौतियां थीं लेकिन सेना ने रणनीति, साहस और बलिदान के दम पर जीत हासिल की।

इस युद्ध को जीतने के लिए सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे जिसके बाद द्रास से लेकर टरटोक तक सेना तिरंग लहरकार वापस लौटी। भारतीय सेना के सैनिकों ने द्रास, काकसार, बाटलिक और टरटोक सेक्टरों में शानदार युद्ध किया था। हमारे शहीदों और नायकों के साहस, वीरता और बलिदान को सलाम किया जाता है। द्रास, मुशकोह और ककसर में पाकिस्तानी सेना घुस चुकी थी।

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सेना ने हर वो जगह जहां पर दुश्मन ने कब्जा किया था उसे अपने पास वापस हासिल किया। इंडियन आर्मी के साथ-साथ इंडियन एयरफोर्स ने भी इस युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। सेना की मदद, घायलों को एयर लिफ्ट करना हो या फिर दुश्मन के ठिकानों बम वर्षा इन सब में भारतीय जंगी जहाजों ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी थी।

उस दौरान भारत के पास मिग 21, मिग 23 और मिग 27 जैसे लड़ाकू विमान थे, पर ये विमान पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए नाकाफी थे। जिसके बाद वायुसेना ने आपरेशन सफेद सागर में मिराज 2000 विमानों का इस्तेमाल किया और दुश्मन को कमरतोड़ जवाब देते हुए जमकर बमबारी की।

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