भारतीय जवानों को दुश्मन आराम से चढ़ाई करते हुए देख सकते थे। जवानों को करीब एक किलोमीटर ऊंचे पहाड़ पर खड़ी चढ़ाई करनी थी। जून 1999 में दुश्मन एक बार फिर प्वाइंट 5770 को अपने कब्जे में लेना चाहता था।
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसा डंका बजाया था जिसे याद कर पाकिस्तान आज भी थर-थर कांपता है। कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। पाकिस्तानी सेना ने कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया था जिसे भारत ने बखूह जवाबी कार्रवाई में वापस अपने कब्जे में ले लिया था।
ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया। भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। पर 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया।
इस युद्ध में अलग-अलग ऑपरेशन को अंजाम देते हुए सेना ने काम किया। प्वाइंट 5770 एक ऐसी चुनौती थी जिसे भारतीय सेना द्वारा स्वीकार करना ही अपने आप में पाकिस्तानी सेना के लिए किसी सदमे जैसा था। दरअसल प्वाइंट 5770 पाकिस्तानी सैनिक घात लगाए बैठे थे। सेना को प्वाइंट 5770 में पूर्व की दिशा से एक किलोमीटर ऊंची चोटी पर करीब 85 डिग्री पर चढ़ाई करना ही सेना के लिए एक चुनौती थी। दुश्मन ऊंचाई पर था जबकि सेना नीचे।
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भारतीय जवानों को दुश्मन आरा से चढ़ाई करते हुए देख सकते थे। जवानों को करीब एक किलोमीटर ऊंचे पहाड़ पर खड़ी चढ़ाई करनी थी। जून 1999 में दुश्मन एक बार फिर प्वाइंट 5770 को अपने कब्जे में लेना चाहता था। इस बीच 102 इंफेंट्री ब्रिगेड एक बोल्ड प्लान के साथ आगे आई इस पूरी चुनौती को बखूबी अंजाम दिया।
सेना ने पूर्व की दिशा से इस बर दुश्मन से लोहा लिया। प्वाइंट 5770 तक पहुंचने के लिए टॉस्क फोर्स ने 25 जून को खड़ी पहाड़ी पर रोप-वे लगाना शुरू कर दिए. 26 जून की रात तक रोप वे लगाने का काम पूरा हो गया।
जैसे ही ये काम पूरा हुआ सेना के जवान तय प्लान के तहत सेना करीब सात घंटे के तक पैदल चुपके से प्वाइंट पर पुहंची। इस दौरान वहां कुल 11 जवान थे जो कि अलग-अलग काम में व्यस्त थे। बस फिर क्या था सेना तुरंत फायरिंग कर दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया। पाकिस्तानी सेना ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारतीय सेना इस तरह से प्वाइंट 5770 पर पहुंचकर अपने शौर्य और साहस का परिचय देगी।
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