War of 1962
Indo-China War: 1962 के दौरान चीनी सेना ने जगह-जगह पोस्ट और सड़क का निर्माण कर दिया था जिसके जवाब में भारतीय सेना (Indian Army) ने भी पोस्ट बना ली थी।
भारतीय सेना (Indian Army) के जवान हर मोर्चे पर दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब सेना के जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दी है। जवानों के लिए देश की रक्षा सबसे पहले आती है और उसके बाद सारे काम। ऐसा हमारे वीरों सपूतों ने कई मौकों पर साबित किया है।
कारगिल युद्ध हो या 1971 में लड़ा गया युद्ध या फिर आजादी के तुरंत बाद कश्मीर के लिए संघर्ष हो, हमारे जवानों ने हर बार साबित किया है कि वह भारत मां की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तैयार खड़े हैं। ऐसा ही हमारे जवानों ने 1962 में भी कर दिखाया था।
चीन और भारत के पास सबसे बड़ी सेना, देश की रक्षा के लिए बेहद जरूरी होते हैं सशस्त्र संगठन
1962 के दौरान चीनी सेना ने जगह-जगह पोस्ट और सड़क का निर्माण कर दिया था जिसके जवाब में भारतीय सेना (Indian Army) ने भी पोस्ट बना ली थी। भारत की हरकत को चीन ने उकसावे वाला समझा और हमला बोल दिया। इसके बाद युद्ध छिड़ गया था।
हालांकि, इन सबके बावजूद चीन ने भारत की करीब 43 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी कब्जा कर लिया था। हमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अक्साई चिन को भी गंवाना पड़ा था। पर हमारे सैनिकों ने हर मोर्चे पर दुश्मनों का सामना किया और जीत की चाह रखी।
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इस युद्ध में चीनी सेना पूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरी थी जबकि भारतीय सेना की तैयारी पूरी नहीं थी। यह बात भी सच है कि चीनी सेना के पास उस समय के बेस्ट हथियार थे जबकि भारतीय सेना के पास ठंड में रहने तक के लिए जैकेट और जूते तक नहीं थे। ऐसे में कहा जाता है कि सेना की हार के पीछे यही मुख्य कारण थे।
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