1971 की लड़ाई में एयरफोर्स के इस अफसर ने छुड़ाए थे PAK के छक्के, बहादुरी के लिए मिला था ‘परमवीर चक्र’

14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर दुश्मन के 6 सेबर एयरक्राफ्ट ने हमला कर दिया था। सेखों उस समय ड्यूटी के लिए तैयार थे।

NIRMAL JIT SINGH SEKHON

पूर्वी पाकिस्तान में रेप, लूट, हत्याएं होने लगी तो लोग भारत में शरणार्थी बनकर पश्चिम बंगाल असम में आकर बसने लगे। एक करोड़ से ज्यादा पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत में घुस चुके थे। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की ठान ली।

साल 1971 भारत, पाकिस्तान (Pakistan) और बांग्लादेश के लिए बेहद अहम था। ये वह साल था जब बांग्लादेश एक देश के रूप में दुनिया के नक्शे में नजर आया। पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन दिन ब दिन तेज होता जा रहा था। पाकिस्तान में 1970 का चुनाव बांग्लादेश के लिए अहम था। इस चुनाव में बांग्लादेश की आजादी के नायक शेख मुजीबुर रहमान को भारी जीत मिली और वह सरकार बनाने की कवायद में थे। मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया था।

पाकिस्तानी आर्मी और पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं को यह रास नहीं आया और उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार, रेप, गिरफ्तारी शुरू कर दी। शेख मुजीबुर रहमान पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की आजादी के आंदोलन को चला रहे थे और पाकिस्तान इसे दबाना चाह रहा था। पाकिस्तान ने इस आंदोलन को जितना दबाना चाहा ये उतना ही बढ़ता रहा।

पूर्वी पाकिस्तान में रेप, लूट, हत्याएं होने लगी तो लोग भारत में शरणार्थी बनकर पश्चिम बंगाल असम में आकर बसने लगे। एक करोड़ से ज्यादा पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत में घुस चुके थे। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की ठान ली। पाक सेना के अत्याचारों से भारत को भी नुकसान हो रहा था।

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पाकिस्तान की सेना ने आंदोलन को दबाने के लिए अत्याचार का सहारा लिया। मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने क्रूरतापूर्वक अभियान शुरू किया। पूर्वी बंगाल में बड़े पैमाने पर अत्याचार किए गए। हत्या और रेप की इंतहा हो गई। मुजीबर को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी और टॉर्चर से बचने के लिए बड़ी संख्या में अवामी लीग के सदस्य भागकर भारत आ गए। शुरू में पाकिस्तानी सेना की चार इन्फैंट्री ब्रिगेड अभियान में शामिल थी लेकिन बाद में उसकी संख्या बढ़ती चली गई। पूर्वी पाकिस्तान की सेना मुक्तिवाहिनी की मदद कर सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी।

इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया जिसे यादकर दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता है। वायुसेना के एक जवान ऐसे थे जिन्होंने जान की बाजी लगाकर पाक सेना के दो विमान को नेस्तनाबूद कर दिया था। सेना के इस जवान का नाम फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों था। सेखों वायु सेना के इकलौते ‘परमवीर चक्र’ विजेता फ्लाइंग अफसर हैं। वह हवाई हमलों से घाटी की हवाई सुरक्षा करने के लिए श्रीनगर में तैनात नैट टुकड़ी के पायलट थे।

ऐसे दिखाई थी बहादुरी: 14 दिसंबर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर दुश्मन के 6 सेबर एयरक्राफ्ट ने हमला कर दिया था। सेखों उस समय ड्यूटी के लिए तैयार थे। दुश्मन सेना ने लगातार हमले कर रही थी और ऐसे में उड़ान भरना खतरे से खाली नहीं था। पर सेखों ने हिम्मत का परिचय देते हुए अपने विमान से उड़ान भरी। उनके साथ एक और विमान ने उड़ान भरी। हवा में पहुंचने के बाद दुश्मन देश के भी विमान आमने सामने थे।

वह कई मौकों पर अकेले पड़ गए लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के चार-चार विमान से एक साथ लोहा लिया। इसी दौरान उन्होंने तत्परता से दो हमलावर सेबर एयरक्राफ्ट पर निशाना लगाया। हालांकि दुश्मन देश के विमान ज्यादा संख्या में थे लेकिन उन्होंने डटकर सामना किया। सेना को उलझाए रखा हालांकि इस दौरान उनका विमान हादसे का शिकार हो गया और वह शहीद हो गए। दुश्मनों के दो एयरक्राफ्ट को भस्म करने और पाक विमानों से घिरा होने के बावजूद डटकर सामना करने के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना के सबसे बड़े सम्मान ‘परमवीर चक्र’ सम्मानित किया गया।

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