झीरम घाटी हमले के एक साल बाद नक्सलियों ने फिर किया था बड़ा हमला, जवान के शव में फिट कर दिया था IED बम

नक्सलियों को उनके गढ़ में घुसकर सीने पर वार करने वाले हमारे जवान हमेशा देश की रक्षा में जुटे रहते हैं। ये जवान सरहद पर ही नहीं बल्कि देश के अंदर ही देश के लिए काला धब्बा बन चुके नक्सलियों (Naxalites) से लड़ते हैं।

Naxal Attack

सांकेतिक तस्वीर।

Naxal Attack: हमला 11 मार्च को किया गया था। झीरम से सटे तोंगपाल से 4 किमी दूर जगदलपुर मुख्य मार्ग एनएच-30 पर बसे गांव टाहकवाड़ा के पास इसे अंजाम दिया गया था। 

नक्सलियों को उनके गढ़ में घुसकर सीने पर वार करने वाले हमारे जवान हमेशा देश की रक्षा में जुटे रहते हैं। ये जवान सरहद पर ही नहीं बल्कि देश के अंदर ही देश के लिए काला धब्बा बन चुके नक्सलियों (Naxalites) से लड़ते हैं। नक्सलियों को खून के आंसू रुलाने के लिए जवान दिन रात मेहनत करते हैं। घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन लॉन्च कर उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं।

इस कड़ी में कई बार नक्सलियों ने भी जवानों पर हमला किया है। ऐसे नक्सली हमले (Naxal Attack) जिन्होंने देश को हिला कर रखा दिया था। इन हमलों में हमारे कई जवान शहीद हुए, तो कई घायल भी हुए। साल 2013 में नक्सलियों ने झीरम घाटी हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 29 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में कांग्रेस नेता समेत स्थानीय लोग भी शामिल थे।

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इसके एक साल बाद यानी साल 2014 में भी झीरम से कुछ दूर नक्सलियों ने एक और बड़ा हमला (Naxal Attack) किया था। इस हमले में 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की भी मौत हुई थी। हमला 11 मार्च को किया गया था। झीरम से सटे तोंगपाल से 4 किमी दूर जगदलपुर मुख्य मार्ग एनएच-30 पर बसे गांव टाहकवाड़ा के पास इसे अंजाम दिया गया था।

नक्सलियों ने एंबुश में फंसाकर सीआरपीएफ (CRPF) की टुकड़ी पर यह हमला किया था। झीरम में 2013 में हुए हमले में भी नक्सलियों ने इसी तरह जवानों पर हमला किया थी। इस वजह से इस नक्सली हमले को झीरम-2 के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि हमले से पांच दिन पहले नक्सली लीडरों की बैठक हुई थी।

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इस बैठक में किस तरह से सीआरपीएफ (CRPF) जवानों को घेरना है। कौन-कौन से हथियारों का इस्तेमाल होगा। कितने नक्सली किस जगह पर होंगे। हमले के दौरान ज्यादा से ज्यादा नुकसान कैसे पहुंचाया जाए, इसको लेकर लंबा विचार विमर्श हुआ था। जवानों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी थी। नक्सली (Naxals) बेहद ही गोपनीय तरीके से ऐसे हमलों को अंजाम देते आए हैं।

बताया गया था कि इस बैठक में छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलांगाना और ओडिशा के सेंट्रल जोन कमेटी मेंबर सहित मोस्ट वांटेड माओवादी लीडर शामिल थे। जांच में सामने आया था कि दरभा डिवीजन कमेटी ने ही इस हमले को अंजाम दिया था। यह वही कमेटी थी जिसने 2013 में झीरम घाटी हमले (Naxal Attack) को अंजाम दिया था।

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हमले के बाद एक और हमले की फिराक में थे नक्सली: नक्सली इस हमले के बाद एक और हमले की फिराक में थे। दरअसल, नक्सलियों ने जाते वक्त एक जवान के शव के अंदर आईईडी विस्फोटक (IED) रख दिए थे। इन्हें बेहद ही चुतराई के साथ रखा गया था। ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि जब मुठभेड़ के बाद बैकअप टीम शहीद जवानों को लेने के लिए आए तो उनपर इस विस्फोटक के जरिए हमला किया जा सके।

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लेकिन नक्सलियों की इस प्लानिंग को बैकअप टीम ने बुरी तरह से विफल कर दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि सेना के जवानों ने अपने बम डिटेक्टर मशीन के जरिए पहले ही विस्फोटक का पता लगा लिया था। इसके बाद तुरंत बम डीएक्टिवेट कर दिया गया था। नक्सली सीआरपीएफ जवानों के खिलाफ इस तरह के हमले करते आ रहे हैं। वह ऐसे हमलों (Naxal Attack) से वे स्थानीय लोगों और जवानों के बीच खौफ पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं।

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