भारत पहुंचे अमेरिका के रक्षा एवं विदेश मंत्री, दोनों देशों के बीच इसलिए अहम है ये 2+2 वार्ता

अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्‍पर और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सोमवार दोपहर भारत पहुंच गए हैं। ये यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका में चुनाव होने हैं।

Donald Trump

फाइल फोटो।

भारत और अमेरिका (America) के बीच 2017 में 2+2 वार्ता की घोषणा हुई थी। यह वो वक्त था जब पीएम मोदी और अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहली बार मुलाकात हुई थी। इससे पहले भारत, अमेरिका से 2 बार 2+2 वार्ता कर चुका है। सितंबर 2018 में और दिसंबर 2019 में ये वार्ता हुई थी।

भारत और अमेरिका (America) के लिए अगले 2 दिन बेहद अहम हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच 2+2 बातचीत होगी। दोनों देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इन दिनों कई अहम समझौतों पर सहमति जताएंगे।

इसके लिए अमेरिकी (America) रक्षा मंत्री मार्क एस्‍पर और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सोमवार दोपहर भारत पहुंच गए हैं। ये यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका में चुनाव होने हैं, और ऐसे में अमेरिका के दोनों मंत्रियों की यात्रा राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है।

भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक में शामिल होंगे। भारत को इस बैठक से काफी उम्मीदे हैं।

बता दें कि दो देशों के बीच शीर्ष स्तर के 2 मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक को 2+2 वार्ता कहते हैं। ये तरीका सबसे पहले जापान ने निकाला था, उसके बाद बाकी देश भी इसे अपनाने लगे। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य दो देशों के बीच बेहतर कम्यूनिकेशन के जरिए बातचीत को सुविधाजनक बनाना है।

भारत और अमेरिका के बीच 2017 में 2+2 वार्ता की घोषणा हुई थी। यह वो वक्त था जब पीएम मोदी और अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहली बार मुलाकात हुई थी। इससे पहले भारत, अमेरिका से 2 बार 2+2 वार्ता कर चुका है। सितंबर 2018 में और दिसंबर 2019 में ये वार्ता हुई थी।

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भारत के लिए ये वार्ता इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन के साथ सीमा पर तनाव चल रहा है और ऐसे में अमेरिका, भारत के लिए सबसे अहम किरदार है। भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध चीन पर प्रेशर क्रिएट करेंगे।

मिली जानकारी के मुताबिक, मीटिंग में बेसिक एक्‍सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्‍पेशियल कोऑपरेशन (BECA) समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इसका मकसद ये है कि देशों के बीच नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स समेत जियोस्‍पेशियल डेटा की साझेदारी हो।

इसके अलावा भारत-चीन के बीच विवाद चल रहा है। भारत का कहना है कि चीन को बॉर्डर से सशर्त पीछे हटना होगा। अमेरिका इस विवाद में भारत का साथ देता आया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुद्दे पर अमेरिका से कुछ बात हो सकती है।

वहीं रक्षा खरीद, चीन का समुद्री कब्‍जा, कोरोना, इंडो-पैसिफिक में सहयोग, H-1B वीजा, WHO, संयुक्‍त राष्‍ट्र, आतंकवाद और एशिया में पावर बांटने जैसे कई मामलों पर चर्चा हो सकती है।

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