‘गांव वालों ने जबरदस्ती नक्सली संगठन में भेजा’, सरेंडर कर पूर्व कमांडर ने सुनाई दास्तान

देश में लॉकडाउन होने की वजह से नक्सलियों (Naxals) के भूखे मरने की नौबत आई है। दूसरी तरफ इनके कई साथी भी अब इनका साथ छोड़ रहे हैं।

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देश में लॉकडाउन होने की वजह से नक्सलियों (Naxals) के भूखे मरने की नौबत आई है। दूसरी तरफ इनके कई साथी भी अब इनका साथ छोड़ रहे हैं। भाकपा माओवादी संगठन के सब जोनल कमांडर रामजीत नगेसिया उर्फ रामू नगेशिया ने अब पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। 24 साल के नक्सली (Naxali) रामजीत नगेसिया ने झारखंड की लोहदगा पुलिस के सामने आत्समर्पण किया।

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भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

साल 2013 में नक्सली संगठन (Naxal Organization) में शामिल होने वाले नगेसिया ने झारखंड सरकार के समर्पण नीति ‘नई दिशा’ से प्रभावित होकर सरेंडर किया। लोहदगा के ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र पेशरार के रोरद गोमिया टोली क रहने वाले रामजीत नगेसिया ने नक्सली (Naxali) बनने के बाद पुलिस के खिलाफ कई मुठभेड़ों में शामिल रहा है।

बूढ़ा पहाड़ में रह चुके रामजीत बिहार के औरंगाबाद, गया और सारंडा के जंगलों में कई बार पुलिस से घिरा। लेकिन हर बार मुठभेड़ के बाद वो भागने में कामयाब हो जाता था।

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रामजीत नगेसिया ने एसपी प्रियदर्शी आलोक के सामने सरेंडर किया है। मौके पर डीसी आकांक्षा रंजन, एसपी प्रियदर्शी आलोक, सीआरपीएफ 158 बटालियन के कमांडेंट मौजूद थे। पुलिस ने यहां जानकारी दी है कि राजजीत नगेसिया पर 4 मामले दर्ज हैं और इसके आत्मसमर्ण के बाद नक्सलियों (Naxalites) की कमर जरूर टूटी है। पुलिस ने यह भी बताया कि नगेसिया यह भाकपा माओवादी रविंद्र गंझू के दस्ते का एक बड़ा कमांडर था।

आत्मसमर्पण करने वाले रामजीत नगेशिया ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि साल 2013 में वह चुन्नी लाल हाई स्कूल में पढ़ाई करता था। तब 9वीं कक्षा पास करने के बाद वह खेती-बारी में अपने परिवार की मदद करने अपने घर गया था। इसी बीच माओवादी रविंद्र गंझू व दस्ता द्वारा गांव में बैठक की गई।

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उसने प्रत्येक गांव से एक-एक लड़के की मांग की। इसके बाद गांव वालों के फैसले पर रामजीत को दस्ता में शामिल होने को मजबूर किया गया। परिजनों द्वारा इसका विरोध भी किया गया। परंतु उसे 2013 के 17 मई को रविंद्र गंझू के दस्ते में शामिल कर लिया गया।

जानकारी दे दें कि लोहरदगा में नक्सली अब खात्मे के कगार पर हैं। पुलिस-प्रशासन की सख्ती ने उनकी कमर तोड़ दी है। यही वजह है कि कई नक्सली (Naxali) अब पुलिस के सामने सरेंडर कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं।

जिले के एसपी प्रियदर्शी आलोक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि ‘नई दिशा’ आत्मसमर्पण नीति के तहत रामजीत ने आत्मसमर्पण किया है और इसे सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

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