छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित बस्तर में पुलिस नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत मजबूत रणनीति के साथ काम कर रही है।
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित बस्तर में पुलिस नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत मजबूत रणनीति के साथ काम कर रही है। इसका सीधा असर नक्सलवाद से जुड़े लोगों पर पड़ रहा है। नक्सलियों की दमनकारी नीति और खोखले सिद्धांतों को अब नक्सली संगठन से जुड़े लोग समझने लगे हैं।
इसी कड़ी में शासन की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर 19 नवंबर को एक लाख के इनामी नक्सली (Naxal) ने आत्मसमर्पण किया। नक्सल प्रभावित सुकमा के तोंगापाल थाना पहुंच कर मड़कामी सोमारू ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इस नक्सली (Naxal) ने तोंगपाल पहुंचकर वहां थाना प्रभारी विजय पटेल और सीआरपीएफ 227 वाहिनी के द्वितीय कमान अधिकारी रामचंद्र राम के सामने सरेंडर कर दिया।
मड़कामी सोमारू पिछले कई सालों से नक्सली (Naxal) संगठन में कटेकल्याण एरिया कमेटी के अंतर्गत सीएनएम कमाण्डर के पद पर कार्य कर रहा था। आत्मसमर्पित नक्सली दंतेवाड़ा जिला के कटेकल्याण, बस्तर के दरभा, पखनार और सुकमा के कुकानार एरिया में सक्रिय रूप से काम कर रहा था। इन इलाकों में हुई कई नक्सली घटनाओं में वह शामिल था। जिले के अलग-अलग थानों में उसके विरूद्ध कई अपराध दर्ज हैं।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली (Naxal) को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इसके साथ ही उसे नई जिंदगी शुरू करने के लिए शासन की पुनर्वास नीति का पूरा लाभ दिया जाएगा। क्षेत्र में नक्सलवाद को लेकर संगठन से जुड़े लोगों का मोहभंग हो रहा है। सही वजह है कि नक्सलियों का आत्मसमर्पण लगातार हो रहो है। अब यहां नक्सलवाद अपने अंतिम दिन गिन रहा है।
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