अफगानिस्तान में तालिबानी आतंक के खिलाफ एकजुट हो रही दुनिया, भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रहीं नजदीकियां

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद दुनियाभर में दहशतगर्दी और इस्लामिक कट्टरपंथ का खतरा बढ़ गया है। इससे निपटने के लिए हर अलग-अलग देशों की अलग-अलग रणनीति है।

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दुनियाभर के देश अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपने नागरिकों को निकाल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के विमान की उड़ान को अमेरिका (America) ने तवज्जो दी।

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद दुनियाभर में दहशतगर्दी और इस्लामिक कट्टरपंथ का खतरा बढ़ गया है। इससे निपटने के लिए हर अलग-अलग देशों की अलग-अलग रणनीति है। अफगानिस्तान में पैदा हुए हालातों से निपटने के लिए भारत (India) और अमेरिका (America) का नजरिया भी अलग-अलग है, पर इस स्थिति में दोनों देशों के बीच नजदीकियां बढ़ती हुई दिख दे रही हैं।

दुनियाभर के देश अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपने नागरिकों को निकाल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय वायुसेना के विमान की उड़ान को अमेरिका ने तवज्जो दी। जिससे भारत को अपने राजनयिकों को वापस लाने में मुश्किल नहीं हुई। बता दें कि काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा फिलहाल अमेरिकी सैनिक ही कर रहे हैं।

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हालांकि, अभी भी भारत के सैकड़ों नागरिक अफगानिस्तान में हैं। उन्हें वहां से निकालने की कवायद जारी है जिसके लिए अमेरिका के मदद की जरूरत होगी। अफगानिस्तान के हालातों से निपटने के तरीकों पर भारत और अमेरिका की राय भले ही अलग-अलग हो, लेकिन इस स्थिति में दोनों देशों के बीच तालमेल बेहतर हो रही है।

वहीं, पाकिस्तान, चीन और रूस, अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। यह भी एक वजह है भारत के रिश्ते अमेरिका के साथ बेहतर हो रहे हैं। उधर, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 17 अगस्त को न्यूयॉर्क पहुंचे। वहां पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान के मसले पर बातचीत की। विदेश मंत्री ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।

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उन्होंने लिखा, “सेक्रेटरी ब्लिंकन के साथ अफगानिस्तान के ताजा हालात पर चर्चा की। मैंने काबुल एयरपोर्ट के सुचारू संचालन की जरूरत पर जोर दिया। इस संबंध में अमेरिकी प्रयासों की सराहना करता हूं।” वहीं, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलिवान से अफगानिस्तान के मुद्दे पर बात की।

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