Northern Alliance
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सिर्फ पंजशीर घाटी को छोड़कर पूरे देश पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। पंजशीर को हथियाने के लिए सोमवार से नॉर्दन अलायंस (Northern Alliance) और तालिबान के बीच युद्ध चल रहा है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी आतंकियों ने मंगलवार रात को भी पंजशीर इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। तालिबान ने एक पुल उड़ाकर नॉर्दन अलायंस के लड़ाकों के बचकर निकलने का रास्ता बंद करने की भी कोशिश की है।
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वहीं दूसरी तरफ दावा किया गया है कि पिछली रात खावक में हमला करने आए तालिबान के करीब 350 आतंकियों को मार गिराया गया है। ट्विटर पर नॉर्दर्न एलायंस (Northern Alliance) की ओर से किए गए दावे के मुताबिक 120 से अधिक तालिबानी आतंकियों को कब्जे में भी ले लिया गया है। नॉर्दर्न एलायंस को इस दौरान कई अमेरिकी वाहन, हथियार हाथ लगे हैं।
⚡ Today more than 120tb captured, I know that our leader, dear #AhmadMassoud, has a kind and merciful heart.
But if it were my will, I would gladly watch them burn live at the stake. So that all the flesh and bone burned and turned to ashes than their ashes mixed with dog waste. pic.twitter.com/HbxbOC9oTW— Northern Alliance 🇭🇺 (@NA2NRF) September 1, 2021
स्थानीय पत्रकार नातिक मालिकजादा ने पंजशीर में जंग को लेकर ट्वीट किए हैं। उनके मुताबिक, अफगानिस्तान के पंजशीर के एंट्रेंस पर गुलबहार इलाके में तालिबान आतंकियों और नॉर्दर्न अलायंस (Northern Alliance) के लड़ाकों के बीच मुठभेड़ हुई है। तालिबान ने यहां एक पुल उड़ा दिया है। ये पुल गुलबहार को पंजशीर से जोड़ता था। इसके अलावा नॉर्दन अलायंस के कई लड़ाकों को पकड़ा गया है।
काबुल से 150 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी हिंदुकुश के पहाड़ों के नजदीक है। उत्तर में पंजशीर नदी इसे अलग करती है। पंजशीर का उत्तरी इलाका पंजशीर की पहाड़ियों से भी घिरा है। वहीं, दक्षिण में कुहेस्तान की पहाड़ियां इस घाटी को घेरे हुए हैं। ये पहाड़ियां सालभर बर्फ से ढकी रहती हैं। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि पंजशीर घाटी का इलाका कितना दुर्गम है। इस इलाके का भूगोल ही तालिबान के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।
कभी पंजशीर के शेर अहमद शाह मसूद का गढ़ रहे इस इलाके से विरोध का झंडा उनके बेटे अहमद मसूद ने उठाया है। वह लोगों को युद्ध की ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनके साथ अशरफ गनी सरकार में उप राष्ट्रपति रहे अमरुल्लाह सालेह भी हैं।
गौरतलब है कि 1980 के दशक में सोवियत संघ का शासन, फिर 1990 के दशक में तालिबान के पहले शासन के दौरान अहमद शाह मसूद ने इस घाटी को दुश्मन के कब्जे में नहीं आने दिया। पहले पंजशीर परवान प्रोविंस का हिस्सा थी।
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