
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के मुद्दे पर रूस ने भारत का खुलकर समर्थन किया है। रूस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर हम भारत के साथ हैं। अनुच्छेद 370 हटाया जाना भारत का आंतरिक मामला है। जम्मू-कश्मीर पर तीसरा देश हस्तक्षेप न करे। भारत और पाकिस्तान शिमला समझौते के तहत मामले को सुलझाएं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान लगातार कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्री समर्थन जुटाने की कोशिशों में लगा है। उसने पहले संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाया लेकिन उसको वहां मुंह की खानी पड़ी थी। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की।
लेकिन बीते दिनों जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे पीएम मोदी ने ट्रंप की मौजूदगी में स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच के सारे मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इस कारण किसी अन्य देश को दखल देने की जरूरत नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृढ़ता से स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर मामले में उसे किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। भारत के इस रुख के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 226 अगस्त को मध्यस्थता के अपने प्रस्ताव से कदम पीछे खींच लिया और कहा कि भारत और पाकिस्तान ‘इसे खुद हल सकते हैं’।
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ट्रंप ने यहां मीडिया से कहा, “मेरा दोनों पीएम मोदी और पीएम इमरान खान के साथ अच्छे संबंध हैं। मेरा मानना है कि वे इसे खुद हल कर सकते हैं। वे इसे लंबे समय से हल करने की कोशिश कर रहे हैं।” गौरतलब है कि इस मुद्दे पर फ्रांस ने भी भारत का साथ दिया है। कई इस्लामिक देश भी पाकिस्तान के साथ खड़े नहीं दिख रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने के लिए 9 अगस्त को चीन गए। पर वहां से भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। पाकिस्तान को चीन ने नसीहत देते हुए कहा कि पाकिस्तान कश्मीर पर तनाव को बढ़ाने से बचे और वह भारत के साथ अपने संबंधों को और खराब न करे। हालांकि चीन ने ही संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस मामले को उठाने में पाकिस्तान की मदद की थी।
कश्मीर के हालात से अफगानिस्तान की तुलना करने पर तालिबान ने भी पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई थी। दुनिया के देशों से अफगानिस्तान को ‘प्रतिस्पर्धा का मैदान’ ना बनाने की अपील करते हुए तालिबान प्रवक्ता जाबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि कुछ पक्ष कश्मीर के मुद्दे को अफगानिस्तान से जोड़ रहे हैं। लेकिन इससे वहां के संकट से निकलने में मदद नहीं मिलेगी क्योंकि अफगानिस्तान का मुद्दा कश्मीर से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है। 8 अगस्त को जारी किए बयान में तालिबान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए जिससे क्षेत्र में हिंसा और जटिलताओं का रास्ता खुल जाए। तालिबान ने कहा, “अफगानिस्तान को दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का थियेटर न बनाया जाए।”
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