भारत के प्रसिद्ध पर्वतारोही कर्नल नरेंद्र कुमार का निधन, इनकी रिपोर्ट पर ही हुआ था 1984 का ‘ऑपरेशन मेघदूत’

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “अपूरणीय क्षति। कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेंद्र ‘बुल’ कुमार ने असाधारण साहस और लगन से देश की सेवा की। पर्वतों के साथ उनके विशेष संबंधों को याद रखा जाएगा।

Indian Army

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सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तानी गतिविधियों का पता लगाने वाले भारतीय सेना (Indian Army) के प्रसिद्ध पर्वतारोही रिटायर कर्नल नरेंद्र कुमार का दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।

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पाकिस्तानी गतिविधियों पर कर्नल कुमार की जमीनी रिपोर्ट के बाद भारत ने रणनीतिक रूप से अहम ग्लेशियर और आसपास के दर्रों पर पूर्ण नियंत्रण के लिए अप्रैल 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ शुरू किया था।

भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र कर्नल कुमार को ‘बुल’ कुमार के नाम से भी जाना जाता था। वह देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों में से एक थे। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि उनका देहांत उम्र संबंधी जटिलताओं की वजह से हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक, सेवानिवृत्त एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर समेत कई लोगों ने कर्नल कुमार को श्रद्धांजलि दी।

भारतीय सेना (Indian Army) ने ट्विटर पर कहा, “सेना कर्नल ‘बुल’ कुमार को श्रद्धांजलि देती है– सैनिक पर्वतारोही जो पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे। कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार का निधन हो गया। वह अत्यंत समर्पण, साहस और वीरता की गाथा छोड़कर गए हैं।”

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “अपूरणीय क्षति। कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेंद्र ‘बुल’ कुमार ने असाधारण साहस और लगन से देश की सेवा की। पर्वतों के साथ उनके विशेष संबंधों को याद रखा जाएगा। उनके परिवार एवं शुभचिंतकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति। “

कर्नल कुमार ने साल 1953 में  कुमाऊं रेजीमेंट से IMA देहरादून से पास नंदा देवी पर्वत पर चढ़ाई की थी, और ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे। इसके बाद उन्होंने 1961 में अपने पैर की 4 उंगलियां फ्रॉस्ट बाइट में खो दीं थीं। बावजूद इसके वह साल 1964 में नंदा देवी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय बने। साल 1965 में एवरेस्ट में भारत का झंडा फहराने वाले पहले भारतीय और 1976 में कंचनजंगा को उत्तर पूर्व दिशा से चढ़नेवाले पहले भारतीय थे।

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