राजस्थान: बाड़मेर की बेटी ने किया सूबे का नाम रोशन, भारतीय सेना में बनीं राज्य की पहली महिला लेफ्टिनेंट

पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan) में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर की बेटी प्यारी चौधरी ने सेना में लेफ्टिनेंट पद पर तैनात होकर सूबे का ही नहीं बल्कि देश का नाम रौशन किया है।

Indian Army

भारतीय सेना (Indian Army) में लेफ्टिनेंट (lieutenant) बनने के पहली बार अपने गांव आने पर गांव वालों ने मंगल गीतों से प्यारी का जोरदार स्वागत किया गया।

पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan) में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर की बेटी प्यारी चौधरी ने सेना में लेफ्टिनेंट पद पर तैनात होकर सूबे का ही नहीं बल्कि देश का नाम रौशन किया है। प्यारी चौधरी ने भारतीय सेना (Indian Army) में पश्चिमी राजस्थान की पहली महिला लेफ्टिनेंट (First female lieutenant) बनकर मिसाल कायम किया है।

अपने परिवार से इंडियन आर्मी (Indian Army) ज्वॉइन करने वाली प्यारी छठीं सदस्य हैं। उन्होंने हाल ही में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है। भारतीय सेना (Indian Army) में लेफ्टिनेंट (lieutenant) बनने के पहली बार अपने गांव आने पर गांव वालों ने मंगल गीतों से प्यारी का जोरदार स्वागत किया गया।

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प्यारी चौधरी ने बताया कि उनकी पढ़ाई लिखाई सेना की स्कूलों में हुई है। पिता और परिवार के लोग सेना में थे, इसलिए मेरी और मेरे परिवार की इच्छा थी कि मैं भी सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करूं। मेरा यह सपना अब पूरा हो गया है। प्यारी के पिता किस्तुराराम चौधरी थल सेना में वर्तमान में सूबेदार के पद पर 47 आर्म्ड रेजिमेंट में तैनात है। पिता को आज अपनी बेटी की सफलता पर नाज है।

पिता किस्तूराराम बताते है कि आज बेटी ने पूरे परिवार के साथ साथ पूरे गांव का नाम रोशन किया है। एक पिता के लिए इससे बड़ा गर्व क्या होगा जब पिता से ऊपर रैंक पर बेटी ने अपना मकाम पाया है।इसके बाद सेना में कमीशन प्राप्त करने के लिए ऑल इंडिया लेवल पर लिखित परीक्षा मेरिट प्राप्त कर इंटरव्यू व मेडिकल टेस्ट पास किए। अब ऑल इंडिया मैरिट के आधार पर प्यारी चौधरी को सेना के मेडिकल विभाग में ऑफिसर रैंक में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली है।

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प्यारी चौधरी बताती हैं कि आम तौर पर हमारे यहां बेटियों को छोटी उम्र में शादी के बंधन में बांध दिया जाता है, जिसके चलते ऐसी कई बेटियां होती हैं, जिनके सपने अधूरे रह जाते हैं। मैं उन मां-बाप को से कहना चाहूंगी, कि बेटियों को अपने सपने पूरे करने दिया जाए। अब मेरा सपना है कि मैं सिविल सर्विसेज में अपना भाग्य आजमाऊंगी।

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