त्रिपुरा: 15 अगस्त से पहले सरेंडर करेंगे 88 उग्रवादी, केंद्र सरकार और एनएलएफटी-एसडी के बीच समझौते पर हुए हस्ताक्षर

नकारी के मुताबिक, एनएलफटी के सदस्यों ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और सरेंडर करने के कागजों पर हस्ताक्षर कर दिया है। सरेंडर करने के बाद इन उग्रवादियों को गृह मंत्रालय की तरफ से आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा।

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। केंद्र और त्रिपुरा सरकार की कोशिशें रंग लाने वाली हैं और बड़ी संख्या में उग्रवादी अब सरकार के सामने सरेंडर करने वाले हैं।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर केंद्र सरकार ने देशवासियों को एक बड़ी खुशखबरी दी है। लेकिन खुशखबरी मिलने का यह सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। 15 अगस्त से पहले देश के लिए एक खुशखबरी और आने वाली है। केंद्र और त्रिपुरा सरकार की कोशिशें रंग लाने वाली हैं और बड़ी संख्या में उग्रवादी अब सरकार के सामने सरेंडर करने वाले हैं। इसके लिए उग्रवादियों और सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। पिछले करीब 30 साल से सक्रिय उग्रवादी गुट नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी-एसडी) के 88 सदस्य 13 अगस्त को आत्मसमर्पण करेंगे।

जानकारी के मुताबिक, एनएलफटी के सदस्यों ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और सरेंडर करने के कागजों पर हस्ताक्षर कर दिया है। सरेंडर करने के बाद इन उग्रवादियों को गृह मंत्रालय की तरफ से आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा। इन उग्रवादियों को आवास, भर्ती और शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। अब हम आपको बताते हैं कि यह उग्रवादी संगठन कितना खतरनाक था और इसका सरेंडर करना जरुरी क्यों था?

300 से ज्यादा हिंसक घटनाओं को दिया अंजाम

साल 1989 से सक्रिय इस संगठन ने साल 2005 से 2015 तक यानी 10 सालों में करीब 317 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है। इन घटनाओं में 28 सुरक्षाबलों समेत 90 लोगों की मौत हो चुकी है। साल 1997 में इस संगठन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया था। साल 2015 में इस सरेंडर करने को लेकर इस संगठन से सरकार ने बातचीत शुरू की थी। इसके बाद साल 2016 से संगठन के उग्रवादियों ने किसी भी हिंसक घटनाओं को अंजाम नहीं दिया है। एनएलएफटी, केंद्र और त्रिपुरा सरकार के बीच समझौता होने के बाद यह संगठन आगे भी हिंसक घटनाओं को अंजाम नहीं देगा।

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