गुमला: विनीता के वार से नक्सली कमांडर की मौत, परिवार की रक्षा के लिए बन गई दुर्गा

विनीता ने पीएलएफआई के एक नक्सली कमांडर (PLFI Area Commander) पर ऐसा वार किया कि वह मौके पर ही मारा गया। बाकी बचे नक्सली किसी तरह अपनी जान बचा कर भाग गए।

PLFI Area Commander

खूंखार नक्सली कमांडर को मार गिराने वाली विनीता उरांव।

कहते हैं कि नारी कभी दुर्गा तो कभी काली का रूप धारण कर सकती है। अपने बच्चों और परिवार के सामने आने वाले संकटों से अगर लड़ने का मन बना लिया तो, वह संकट भी डर से कोसों दूर चला जाता है। उसे भी पता होता है कि अगर एक स्त्री ने दुर्गा और काली का रूप धारण कर लिया तो उसे हारना ही होगा। ऐसी ही घटना मंगलवार (5 मई ) की रात को झारखंड के गुमला जिले के एक आदिवासी बेटी ने करके दिखाया। इस बेटी का नाम विनीता है।

दरअसल, रात के अंधेरे में पीएलएफआई के एरिया कमांडर (PLFI Area Commander) सहित कई नक्सलियों ने भीमा उंराव के घर पर हमला किया था। नक्सलियों का इरादा घर के सदस्यों को जान मारने का था। भीमा की पत्नी विनीता नक्सलियों की मंशा को भांप गई। विनीता ने अपनी कमर कसी और टांगी लेकर नक्सलियों से भिड़ गई। उसने टांगी (कुल्हाड़ी) से एक-एक करके के सभी नक्सलियों को मारना शुरू कर दिया।

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मारा गया नक्सली कमांडर बंसत गोप: विनीता के ताबड़तोड़ वार के आगे नक्सलियों की एक न चली। नक्सली हथियार बंद थे, पर बंदूक नहीं चला पाए। विनीता ने पीएलएफआई के एक नक्सली कमांडर (PLFI Area Commander) पर ऐसा वार किया कि वह मौके पर ही मारा गया। बाकी बचे नक्सली किसी तरह अपनी जान बचा कर भाग गए। वहीं, घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटना की पूरी जानकारी ली।

एसपी ने दिलाया सुरक्षा का भरोसा: यह घटना गुमला जिले से 10 किलोमीटर दूर वृंदा नायक टोली की है जहां विनीता अपने परिवार के साथ रहती है। गुमला के पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दन ने विनीता के परिवार को सुरक्षा का भरोसा दिया है। विनीता की बहादुरी के बाद आदिवासी समाज के लोग उसकी प्रशंसा कर रहे हैं उसकी हिम्मत को सलाम कर रहे हैं। वहीं, क्षेत्र के कई आदिवासी संगठन व नेताओं ने विनीता की हिम्मत पर उसे बधाई दी है। साथ ही सरकार और गुमला पुलिस से विनीता को सरकारी नौकरी देने और इनाम देने की मांग भी की है।

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लोग कर रहे बहादुरी की तारीफ: आदिवासी छात्रसंघ गुमला के जिला संयोजक अशोक कुमार भगत ने कहा है कि विनीता की बहादुरी निश्चित रूप से आदिवासी समाज के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने गुमला प्रशासन से मांग किया है कि विनीता को इनाम के साथ-साथ एक परिवार के सदस्य को नौकरी भी दी जाए। वहीं, छात्र मोर्चा गुमला के जिला अध्यक्ष महावीर उरांव ने प्रशासन से मांग किया है कि विनीता के परिवार को पुलिस विभाग सुरक्षा दे। महावीर ने विनीता को इनाम और नौकरी देने की भी मांग की है। साथ ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद उसे सम्मानित करने की भी मांग की गई है।

परिवार ने की सुरक्षा की मांग: विनीता के देवर पीयूष टोप्पो ने भी प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। पीयूष टोप्पो ने कहा, “अचानक हुए हमले का मेरी भाभी ने टांगी से जवाब दिया है, मन में भय है। इसलिए पुलिस प्रशासन हमें सुरक्षा दे। प्रशासन हमारी मदद करें जब तक माहौल शांत नहीं हो जाता है।” पीयूष का कहना है कि अभी पुलिस गांव में कैंप कर रही है। पर, जब कुछ दिनों के बाद पुलिस चली जाएगी तो इसके बाद स्थिति भयावह हो सकती है, यही डर लग रहा है।

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क्या कहते हैं एसपी साहब: एसपी ने वृंदा गांव में पीएलएफआई एरिया कमांडर (PLFI Area Commander) बंसत गोप की हत्या के संबंध में बताया कि बसंत अपने दस्ते के साथ भीमा उरांव के घर पर हमला करने के लिए आया था। वह पहले भी हमला कर चुका है। तब उसने भीमा के पिता सनीचर उरांव की हत्या कर दी थी। वह केस कोर्ट में चल रहा है। गवाही नहीं देने के लिए नक्सली कमांडर बंसत गोप भीमा के परिवार को लगातार धमकी दे रहा था। इस बार भी वह धमकी देने और जान मारने की नियत से पहुंचा था। लेकिन विनीता ने अपने परिवार के सदस्यों की जान बचाने के लिए उस पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

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9 साल पहले हुई थी बसंत से मुलाकात: पीएलएफआई के एरिया कमांडर (PLFI Area Commander) बसंत गोप की दो बहनें शव लेने के लिए थाने आईं। इस दौरान दोनों बहनों ने बताया कि बसंत गोप से 9 साल पहले वृंदावन महुआ टोली में एक शादी समारोह में मुलाकात हुई थी। वह 9 साल से घर नहीं आया था। पीएलएफआई (PLFI) में शामिल होने के बाद उसने घर परिवार से नाता तोड़ लिया था।

कैसे बना बसन्त नक्सली: नक्सली कमांडर (PLFI Area Commander) की बड़ी बहन संपत्ति देवी का कहना है कि कुछ साल पहले महुआ टोली में एक नरसंहार हुआ था। जिसमें मेरे भाई प्रदीप की पत्नी और दो बच्चों सहित मेरी मां की हत्या कर दी गई थी। अपने परिवार की हत्या का बदला लेने के लिए बसंत पीएलएफआई (PLFI) में शामिल हुआ। इस दौरान एक बार भी वह घर नहीं आया।

बसंत ने चुना गलत रास्ता: बसंत की बहन कहती है कि मेरा बड़ा भाई प्रदीप अपनी पत्नी, बच्चों और मां की हत्या के बाद टूट चुका था। पर, उसने हिम्मत नहीं हारी, कोशिश जारी रखी। कुछ समय बाद प्रदीप की स्वस्थ विभाग में नौकरी हो गई। आज वह गुमला के डुमरी सीएचसी में कार्यरत है। पर बसंत ने गलत रास्ता चुना।

इंटर में लिया था एडमिशन: बसंत की बहन ने बताया कि बसंत मैट्रिक पास था। उसने इंटर में एडमिशन कराया था लेकिन परीक्षा नहीं दी। इसी बीच नरसंहार में अपनी परिजनों की मौत का बदला लेने के लिए नक्सली संगठन पीएलएफआई (PLFI) में भर्ती हो गया। नक्सली बसन्त गोप की शादी नहीं हुई थी।

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