Jharkhand: नक्सलवाद से मुक्त जिले की सूची में शामिल हुआ धनबाद , इस साल नहीं हुई एक भी नक्सली घटना

झारखंड (Jharkhand) के धनबाद जिले के धुर नक्सल प्रभावित टुंडी-तोपचांची के बिहड़ों से नक्सली गतिविधियां (Naxal Incidents) लगभग समाप्त हो चुकी है।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

पुलिस के पास उपलब्ध नक्सली गतिविधियों (Naxal Incidents) के आंकड़े इस बात को इंगित करते हैं कि टुंडी -तोपचांची के जंगलों में नक्सलियों का साम्राज्य अब समाप्त होने की कगार पर है।

झारखंड (Jharkhand) में नक्सलवाद (Naxalism) के खिलाफ सरकार और प्रशासन की ओर से लगातार की जा रही कार्रवाई से नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। प्रदेश के धनबाद जिले के धुर नक्सल प्रभावित टुंडी-तोपचांची के बिहड़ों से नक्सली गतिविधियां (Naxal Incidents) लगभग समाप्त हो चुकी है।

एक वक्त था जब टुंडी -तोपचांची के सुदूर इलाकों में जाने से लोग कतराते थे। नक्सलियों (Naxals) का खौफ इस कदर पसरा था कि इलाकेो के लोग हर पल दहशत के साये में जीने को मजबूर थे। लेकिन अब स्थिति एकदम बदल चुकी है। अब इस इलाके में पुलिस की पैठ बढ़ी है। लगातार पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ (CRPF) के जवान पेट्रोलिंग करते हैं। आज यहां पर लोग बेखौफ कहीं भी आ-जा सकते हैं।

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कुछ सालों में पुलिस ने नक्सलियों को मात देने में कामयाबी हासिल की। पुलिस के पास उपलब्ध नक्सली गतिविधियों (Naxal Incidents) के आंकड़े इस बात को इंगित करते हैं कि टुंडी -तोपचांची के जंगलों में नक्सलियों का साम्राज्य अब समाप्त होने की कगार पर है। नतीजा यह हुआ है कि अब धनबाद को नक्सल मुक्त जिले की सूची में ले आ गया है।

इस नक्सल प्रभावित इलाके में विकास का कार्य भी हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले पांच सालों में टुंडी, तोपचांची और हरिहरपुर इलाके में नक्सलियों द्वारा एक भी हत्या की घटना नहीं हुई है। यह धनबाद पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि इन सालों में छिटपुट नक्सली गतिविधियां जारी रहीं।

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साल 2020 के सितंबर महीने तक एक भी नक्सली वारदात की घटना नहीं होना इस बात का संकेत देता है कि इन इलाकों में पुलिस की पकड़ पहले से मजबूत हो चुकी है। पिछले साल यानी 2019 में जहां नक्सल प्रभावित टुंडी- तोपचांची इलाके में दो नक्सली घटनाएं (Naxal Incidents) हुई थीं। साल 2020 के अक्टूबर महीने तक एक भी नक्सली वारदात नहीं हुई।

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जिले में नक्सली वारदातों में लगातार गिरावट आई है। बीते 5 साल के आंकड़े देखें तो साल 2015 में यहां 22 नक्सली घटनाएं हुईं, साल 2016 में 12 नक्सली घटनाएं तो साल 2017 में 10 नक्सली घयाएं हुईं। वहीं, साल 2018 में यहां 6 नक्सली वारदातें हुईं और साल 2019 में यह संख्या घटकर 2 हो गई। साल 2020 में अब तक यहां एक भी नक्सली घटना नहीं हुई है।

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