DRDO ने नौसेना को सौंपी अनोखी स्वदेशी तकनीक, ड्रोन के लिए बेहद कारगर है ये लैंडिंग गियर

डीआरडीओ (DRDO) के प्रेस रिलिज में आगे कहा गया कि इनका निर्माण केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’मिशन के तहत किया गया है। साथ ही इस पूरे प्रोजेक्ट की कॉस्टिंग डीआरडीओ व नौसेना (Indian Navy) ने मुहैया करवाई।

Indian Navy

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भारत सरकार की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की कॉम्बैट व्हिकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट विंग ने मानवरहित यान (Drone) के लिए स्वदेश में विकसित व अलग हो सकने वाली लैंडिंग गियर टेक्नोलॉजी नौसेना (Indian Navy) को सौंप दी। बख्तरबंद वाहनों और जंगी प्रणालियों के डिजाइन व डेवलपमेंट का काम करने वाले सीवीआरडीई की तरफ से कहा गया कि केंद्र के आत्मनिर्भर कार्यक्रम के तहत उसने मानवरहित यान ‘तापस’ के लिए तीन टन वजनी ‘रिट्रेक्टेबल लैंडिंग गियर सिस्टम्स’ का निर्माण किया है। इसके अलावा स्विफ्ट यूएवी (Drone) के लिए एक टन की लैंडिंग गियर टेक्नोलॉजी बनाई है।

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डीआरडीओ की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि ड्रोन में इस्तेमाल होने वाली इस लैंडिग गियर टेक्नोलॉजी को अवाडी के सीवीआरडीई संस्थान में डेवलप की गई। इस खास मौके पर डीआरडीओ (DRDO) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने सीवीआरडीई को बधाई देते हुए कहा कि देश के लिए ये एक अहम उपलब्धि है। इस मौके पर लैंडिंग गियर टेक्नोलॉजी के साथ ही स्वदेश निर्मित 18 हाईटेक हाइड्रोलिक लुब्रिकेशन और फ्यूल फिल्टर भी नौसेना (Indian Navy) को सौंपे गए।

डीआरडीओ (DRDO) के प्रेस रिलिज में आगे कहा गया कि इनका निर्माण केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’मिशन के तहत किया गया है। साथ ही इस पूरे प्रोजेक्ट की कॉस्टिंग डीआरडीओ व नौसेना (Indian Navy) ने मुहैया करवाई। जिसके बाद डीआरडीओ की कॉम्बैट व्हिकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट विंग ने इस तकनीक को देश में ही विकसित करके एक और उपलब्धि अपने नाम की।

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