लड़ाकू जेट विमानों को दुश्मनों से बचाने के लिए DRDO ने विकसित की नई तकनीक, ऐसे करती है काम

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लड़ाकू जेट विमानों को दुश्मनों से बचाने के लिए एक नई तकनीकी विकसित की है। यह तकनीक भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जेट विमानों को दुश्मन से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी।

DRDO

Advanced Chaff Technology

शाफ तकनीक (Advanced Chaff Technology) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की पुणे स्थित हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लैबोरेट्री और जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला ने विकसित किया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लड़ाकू जेट विमानों को दुश्मनों से बचाने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है। यह आधुनिक शाफ तकनीक (Advanced Chaff Technology) भारतीय वायुसेना (Indian Ar Force) के लड़ाकू जेट विमानों को दुश्मन के इंफ्रारेड, राडार व मिसाइलों के खतरों से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी।

इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की पुणे स्थित हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लैबोरेट्री और जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला ने विकसित किया है। शाफ तकनीक में कार्ट्रिज (छोटी ट्यूब के आकार के सख्त प्लास्टिक खोल) इस्तेमाल होते हैं। कार्ट्रिज में विस्फोटक भरा होता है। इनका उपयोग विमान को दुश्मन की राडार द्वारा पहचानने से रोकने या उसकी मिसाइल के हमले विफल करने में होता है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बढ़ीं मुश्किलें, मंडरा रहा ये खतरा

हमले के समय यह कार्ट्रिज विमान से छोड़े जाते हैं। ये दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उलझा कर बहुमूल्य जेट विमान को टारगेट बनने से बचा सकते हैं। आमतौर पर मिसाइलें लड़ाकू विमान से निकलने वाली गर्मी और इंफ्रारेड से उनकी पहचान कर उन्हें टारगेट के रूप में लॉक करती हैं।

ऐसे में शाफ तकनीक से लैस लड़ाकू जेट इन छोटे कार्ट्रिज को आसमान में अपने चारों ओर छोड़ने लगते हैं। इंफ्रारेड व गर्मी का पीछा करने की खूबी ही मिसाइलों को अपने लक्ष्य यानी जेट विमान से भटका कर इन कार्ट्रिज की ओर मोड़ती हैं।

ये भी देखें-

रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर के निदेशक रवींद्र कुमार ने इस तकनीक के बारे में बताया कि आज के युग में इलेक्ट्रॉनिक रणनीति का दायरा लगातार बढ़ रहा है। महंगे लड़ाकू जेट विमानों को इनसे बचाना महत्वपूर्ण हो गया है। इस शाफ तकनीक को रक्षा उद्योगों को दिया जा रहा है, ताकि भारतीय वायुसेना में इनकी बढ़ी हुई मांग को समय से पूरा किया जा सके।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें