सेना ने एसआईडीएम के साथ किया करार, स्वदेशी उपकरणों को मिलेगा बढ़ावा

आत्मनिर्भर भारत के तहत सेना (Indian Army) ने सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के साथ एक एमओयू साइन किया है। इससे रणनीतिक आजादी का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी और विदेशी उपकरणों पर निर्भरता घटेगी।

Defence Ministry

रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) की ओर से कहा गया है कि सेना और उद्योग के बीच 25 वर्षों की साझेदारी के लिए भारतीय उद्योग संघ के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

आत्मनिर्भर भारत के तहत सेना (Indian Army) ने सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के साथ एक एमओयू साइन किया है। इससे रणनीतिक आजादी का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी और विदेशी उपकरणों पर निर्भरता घटेगी। इस बाबत रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) की ओर से कहा गया है कि सेना और उद्योग के बीच 25 वर्षों की साझेदारी के लिए भारतीय उद्योग संघ के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

बता दें कि 21 जनवरी को ‘आर्मी- इंडस्ट्री पार्टिनरशिप के 25 साल’ पर आयोजित वेबिनार में आर्मी चीफ ने कहा कि भारतीय आर्म्ड फोर्स की विदेशी उपकरणों पर निर्भरता को स्वदेशी क्षमता बढ़ाकर कम करना चाहिए।

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आर्मी चीफ ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा आधुनिक और खास टेक्नॉलजी और मैन्युफैक्चरिंग में क्षमता की कमी की वजह से सिर्फ स्वदेशी डिवेलपमेंट से ही मौजूदा ऑपरेशनल गैप यानी जरूरतों की भरपाई नहीं हो सकती। इसलिए कुछ पर्सेंट इंपोर्ट की जरूरत रहेगी। जब दुश्मन एकदम दरवाजे पर हो उस वक्त कोई भी ऑपरेशनल कमी का रिस्क नहीं ले सकता।

उन्होंने कहा कि मुसीबत के वक्त में हथियार और गोलाबारूद पर बाहर के देशों पर निर्भरता दिक्कत पैदा करती है। पिछले कुछ सालों में स्वदेशी पर फोकस कर इसे बदलने की कोशिश की गई है।

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आर्मी चीफ ने कहा कि हम स्वदेशी उपकरण और वेपन सिस्टम लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि किसी भी आर्मी के लिए इससे ज्यादा उत्साहवर्धक कुछ नहीं हो सकता कि वह स्वदेशी तकनीक और हथियारों से युद्ध लड़े और जीते। उन्होंने खरीद की प्रकिया में तेजी लाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

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