Chhattisgarh: नक्सलियों की कायराना करतूत, प्रेस नोट जारी कर पत्रकारों को दी धमकी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में पत्रकारिता बेहद चुनौतीपूर्ण है। प्रदेश में नक्सलियों (Naxalites) ने बड़ा दुस्साहस किया है। यहां प्रेस नोट जारी कर नक्सलियों ने पत्रकारों को धमकी दी है।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

नक्सली (Naxalites) किसी भी विकास कार्य को नहीं होने देते। वे इसमें बाधा डालने के लिए और दहशत फैलाने के लिए ऐसी कायराना हरकतें करते हैं।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में पत्रकारिता बेहद चुनौतीपूर्ण है। प्रदेश में नक्सलियों (Naxalites) ने बड़ा दुस्साहस किया है। यहां प्रेस नोट जारी कर नक्सलियों ने पत्रकारों को धमकी दी है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की तरफ से जारी प्रेस नोट में पत्रकारों के नाम लिखकर उनके ऊपर सरकार के साथ चलने का आरोप लगाया गया है।

जिन पत्रकारों के नाम लिखे गए हैं उसमें करीब 18 साल से नक्सलियों (Naxals) के गढ़ में पत्रकारिता कर रहे बीजापुर के गणेश मिश्रा के साथ लीलाधर राठी, पी विजय, फारुख अली, शुभ्रांशु चौधरी के नाम शामिल हैं। प्रेस नोट में कहा गया है कि सरकार हजारों की संख्या में ग्रामीणों को बेदखल करने के लिए खदान और बांध शुरू करने के लिए समझौता कर चुकी है। इसलिए ही सुरक्षाबलों की नई कम्पनी तैनात की जा रही है, जबकि जनता इसका विरोध कर रही है।

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पत्रकारों और समाजसेवियों पर इस पूरे मामले पर साथ देने का आरोप लगाते हुए नक्सलियों (Naxalites) ने जनता के जनअदालत में सजा देने की धमकी दी है। बता दें कि नक्सली किसी भी विकास कार्य के नहीं होने देते। वे इसमें बाधा डालने के लिए और दहशत फैलाने के लिए ऐसी कायराना हरकतें करते हैं।

इस बाबत बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने कहा है कि पुलिस इस प्रेस नोट की जांच कर रही है। पत्रकारों और समाजसेवी सहित सभी नागरिकों के सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है। किसे कितनी सुरक्षा दी जाएगी इस बात को हम सार्वजनिक नहीं कर सकते।

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वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है की ये नक्सलियों की बौखलाहट है जो बस्तर के उन पत्रकारों को धमका रहे हैं जो सबसे ज्यादा जोखिम लेकर पत्रकारिता कर रहे हैं। सरकार पत्रकारों के साथ है और उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

लंबे समय से बस्तर में काम कर रहे शुभ्रांशु चौधरी का कहना है की वो बस्तर में शांति चाहते हैं, इसलिए बस्तर में ऐसे प्रयास करते रहते है जिससे इस इलाके में शांति आए। इसलिए नक्सलियों ने उनके बारे में ऐसा लिखा है।

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वहीं, करीब 18 साल से नक्सलियों के गढ़ में काम कर रहे पत्रकार गणेश मिश्रा का कहना है कि उन्हें इस बात का बहुत दुःख है की उनके बारे में नक्सलियों ने ऐसा लिखा है। आज भी वो बीजापुर में किराए के मकान में रहते हैं। बीजापुर के अंदरूनी इलाकों से जरूरतमंदों की खबर देश और दुनिया के सामने लाते हैं। जान जोखिम में डालकर वो अपने पेशे के साथ खड़े रहते हैं, इसके बाद भी उनके बारे में नक्सली इस तरह की बात लिख रहे हैं जिससे वो दुखी हैं।

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